पेइचिंग : दक्षिणी चीन सागर पर विश्व बिरादरी की आंखों में चढ़ने के बावजूद चीन इसे लेकर बेहद आक्रामक नीति अपना रहा है। जानकारी के मुताबिक, चीन दुनिया का सबसे छोटा परमाणु पावर प्लांट विकसित कर रहा है। इसे वह विवादित दक्षिण चीन सागर के किसी द्वीप पर स्थापित कर सकता है। मंगलवार को हॉन्ग कॉन्ग से निकलने वाले साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट में छपी एक खबर के मुताबिक, इस न्यूक्लियर पावर प्लांट का इस्तेमाल घरों में बिजली पहुंचाने के लिए किया जाएगा। बिना ईंधन भरे भी यह पावर प्लांट कई दशकों तक काम कर सकता है।
इसे कॉम्पेक्ट लीड-कूल्ड थर्मल रिऐक्टर के मॉडल पर विकसित किया गया है। 1970 के दशक में पूर्व सोवियत संघ की नौसेना अपने न्यूक्लियर सबमरीन्स में इसी कॉम्पेक्ट लीड-कूल्ड थर्मल रिऐक्टर्स का इस्तेमाल करती थी। अब चीन के शोधकर्ता 5 साल के अंदर पॉर्टेबल न्यूक्लियर बैटरी पैक विकसित करने की जी-तोड़ कोशिशों में लगे हैं। इससे पहले चीन की आधिकारिक मीडिया ने खबर दी थी कि चीन जल्द ही तैरने वाले समुद्रीय न्यूक्लियर पावर प्लेटफॉर्म्स विकसित करने जा रहा है। चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने यहां के नैशनल न्यूक्लियर कॉर्पोरेशन के हवाले से बताया था कि चीन इस तरह के 20 न्यूक्लियर प्लेटफॉर्म्स विकसित करने की योजना बना रहा है, ताकि दक्षिणी चीन सागर के द्वीपों पर बिजली और पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।
मालूम हो कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा दक्षिणी चीन सागर विवाद में चीन के खिलाफ फैसला सुनाया गया था, लेकिन चीन से यह निर्णय मानने से इनकार कर दिया। अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने इस क्षेत्र पर चीन के दावे को खारिज कर दिया था। इसके बावजूद चीन इस हिस्से में जोर-शोर से निर्माणकार्य करने में जुटा है। इस क्षेत्र पर कई देश अपना दावा करते हैं।