भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात की चीनी मीडिया में काफी चर्चा है। दोनों देशों के बीच मजबूत होते रिश्तों से भड़के चीनी मीडिया ने कहा है कि भारत से बढ़ती अमेरिका की नजदीकी एक “भूराजनीतिक चाल” है जिससे भारत को कोई मदद नहीं मिलने वाली। चीनी मीडिया का मानना है कि भारत और अमेरिका चीन पर लगाम लगाने के लिए एक दूसरे से दोस्ती बढ़ा रहे हैं। चीन में मीडिया स्वतंत्र नहीं है। चीनी मीडिया पर वहां की कम्युनिस्ट सरकार का नियंत्रण रहता है। चीन के ग्लोबल टाइम्स अखबार ने 1950 और 1960 के दशकों के इतिहास का हवाला देते हुए भारत को अमेरिका और रूस का राजनीतिक हथियार बनने के प्रति आगाह किया है।
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, “1950 के दशक के आखिरी से लेकर 1960 के दशक के शुरुआत में सोवियत यूनियन और अमेरिका दोनों ही चीन पर लगाम लगाने के लिए भारत का कार्ड चलते रहे हैं। तत्कालीन केनेडी सरकार ने इंडिया फॉरवर्ड पॉलिसी को समर्थन दिया था। लेकिन नतीजा वो नहीं है जो वो चाहते थे।” चीन अखबार ने 1962 के युद्ध में भारत की हार और अमेरिका द्वारा मदद न मिल पाने की भी याद दिलायी है। चीनी अखबार ने कहा है कि भारत चीन की बराबरी करने में सक्षम नहीं है। अखबार ने लिखा है, “भारत चीन की बराबरी नहीं कर सकता और ये इतिहास सिद्ध है। भारत को भूराजनीतिक चाल में फंसने से बचना चाहिए। चीन के उभार से उपजे तनाव के बावजूद चीन के संग बेहतर रिश्ते रखना ही उसके सुरक्षा और विकास के लिए बेहतर होगा।”
चीनी अखबार ने सवाल उठाया है, “भारत को अमेरिका के करीब जाने से कितने व्यावहारिक फायेद हो सकते हैं?” अखबार ने भारत को संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता न मिलने को लेकर भी ताना मारा है। चीनी अखबार ने लिखा है, “बराक ओबामा के कार्यकाल में भारत को लुभाने के लिए उसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट दिलाने का वादा किया गया लेकिन इसके लिए कोई व्यावहारिक प्रयास नहीं किया गया। क्या ट्रंप भारत को सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट दिलाने के लिए ठोस कदम उठाएंगे? कहना मुश्किल है। क्या ट्रंप पाकिस्तान द्वारा कथित तौर पर आतंकवाद को बढ़ावा देने के खिलाफ उस पर ज्यादा दबाव बनाएंगे? इसका जवाब भी लगभग ना ही है। ”
चीनी अखबार ने लिखा है कि अमेरिका भारत को चाहे जितना भी चारा डाले लेकिन उसके साथ अमेरिका के रिश्ते जापान या ऑस्ट्रेलिया की तरह रिश्ते नहीं हैं। चीनी अखबार ने कहा है कि अगर भारत ने अमेरिका के साथ रिश्ते बढ़ाए तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। चीनी अखबार ने धमकी दी है कि भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते प्रगाढ़ होने पर दक्षिण एशिया में तनाव बढ़ सकता है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इसी साल अप्रैल में अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिले थे।