पाकिस्तान में हर साल 1 हजार हिंदू-ईसाई लड़कियों का कराया जाता है जबरन धर्म परिवर्तन, निशाने पर होती हैं खूबसूरत लड़कियां

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पुलिस ने उस हामिद ब्रोही को बुलाया जिस पर परिवार ने लड़की को ले जाने का आरोप लगाया था। उस शख्‍स ने कहा कि वह एक लाख रुपये के कर्ज का भुगतान है। पुलिस अफसर अकील अहमद ने एफिडेविट दिखाते हुए बताया कि लड़की का नाम फातिमा हो गया है। उसने इसमें कहा कि उसने अपनी मर्जी से शादी की। जब एपी की रिपोर्टर ने जीवती से बात की तो उसने बताया, ”मैंने उनसे शादी की क्‍योंकि मैं ऐसा चाहती थी। मैंने अपने आप से पूछा कि हम प्रेमी हैं तो हमें शादी करनी चाहिए। इसलिए उन्‍होंने कहा चलो शादी करते हैं तो मैंने हां कह दिया।” जीवती ने हालांकि कोर्ट एफिडेविट के बारे में कुछ नहीं बताया। इस मुलाकात के बाद अगले दिन जब रिपोर्टर और वीरो कोहली उस घर पर जाते हैं तो वहां कोई नहीं होता है। मकान पर ताला लगा होता है।

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दक्षिणी पाकिस्‍तानी में इस तरह की कहानियां आम हो चुकी हैं। यहां तक छोटा-मोटा लोन कभी ना चुकाए जाने वाला बोझ बन जाता है और दिए गए पैसों की कभी कटौती नहीं होती। यहां पर महिलाओं व बच्चियों को को कर्ज के भुगतान के रूप में दे दिया जाता है। इसके अलावा विवाद सुलझाने और बदला लेने के लिए भी महिलाओं को लेनदेन होता है। यहां पर महिलाएं पुरुषों के लिए ट्रॉफी की तरह होती हैं। वे सबसे खूबसूरत, नौजवान और कमजोर को चुनते हैं। कभी वे उन्‍हें दूसरी पत्‍नी के रूप में घर ले जाती हैं तो कभी उन्‍हें वेश्‍यावृत्ति में धकेल देते हैं और पैसे कमाते हैं। कभी उन्‍हें यूं ही ले जाते हैं। 2016 के ग्‍लोबल स्‍लेवरी इंडेक्‍स के अनुसार लगभग 20 लाख पाकिस्‍तानी गुलामों का जीवन जी रहे हैं। साउथ एशिया पार्टनरशिप ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार, हर साल लगभग 1000 नौजवान ईसाई और हिंदू लड़कियां उनके घरों से ले जाई जाती हैं और उन्‍हें इस्‍लाम में कंवर्ट कर दिया जाता है।

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