भारत-चीन के संबंध नफा नुकसान से परे: विदेश सचिव

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फाइल फोटो।

नई दिल्ली। विदेश सचिव एस जयशंकर ने शुक्रवार(9 सितंबर) को कहा कि भारत और चीन के संबंध किसी एक को फायदा या दूसरे के नुकसान की अवधारणा से परे है और दोनों देशों को सामरिक परिपक्वता के साथ एक दूसरे से संपर्क करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि भारत, चीन के द्विपक्षीय संबंध ‘‘जटिल’’ हैं, लेकिन संबंधों के सहयोगपूर्ण एवं सम्मिलित पक्ष की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। जयशंकर ने कहा कि चीन से भारत के हितों का ध्यान रखने की उम्मीद की जाती है, खासकर तब जब उनका चीन के हितों से टकराव नहीं है।

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उन्होंने कहा कि ‘आतंकवाद से मुकाबला इसमें आता है और जाने पहचाने आतंकवादियों एवं संगठनों पर प्रतिबंध लगाना भिन्नता का मुद्दा नहीं होना चाहिए। ना ही विकास से जुड़े मुद्दों पर आपत्ति होनी चाहिए, जैसे कि असैन्य परमाणु उर्जा के क्षेत्र में सहयोग एवं निवेश तक भारत की प्रत्याशित पहुंच।’

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विदेश सचिव चीन द्वारा पाकिस्तानी आतंकी एवं जैश ए मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को अलकायदा या इस्लामिक स्टेट से संबद्ध समूहों की संयुक्त राष्ट्र की काली सूची में डलवाने की भारत की कोशिश को नाकाम करने और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत का प्रवेश रोकने की तरफ इशारा कर रहे थे।

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उन्होंने कहा कि दोनों देशों के संबंधों पर ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए। इसका एक कारण दोनों के कंधों पर इस खास संबंध के इतिहास का भार होना है। विदेश सचिव ने कहा कि इनमें से कुछ कारण संबंधों की विशाल क्षमता और क्षेत्रीय एवं वैश्विक राजनीति पर उसकी दिशा का संभावित असर है।