यहां फंसे लोग सेना का इंतजार कर रहे हैं। उनकी आखिरी आस यही है कि सबकुछ खत्म हो जाने से पहले सेना आकर उन्हें बचा ले। ओमर ने बताया, ‘हम जानते हैं कि यारमूक जिले में सेना ISIS से लड़ रही है, लेकिन हमारे जिले के आसपास तो पुलिस तैनात है। पिछले एक हफ्ते से यहां की स्थितियां जस की तस हैं। सेना यहां आ ही नहीं रही।’ ओमर ने बताया कि बाहर से धमाकों की आवाजें तो आती हैं, लेकिन कोई भी बाहर जाकर नहीं देख सकता। ओमर के मुताबिक, ISIS के आतंकियों ने पिछले हफ्ते लोगों के घर खाली करवा लिए और तीन-चार परिवारों को एकसाथ एक घर में रहने का निर्देश दिया। अब कई घरों को ISIS ने अपने कब्जे में ले लिया है। यहां ISIS ने जैसे हर घर को युद्ध के मोर्चे में तब्दील कर दिया। घरों में छेद बना दिए गए हैं। घरों में छुपे ISIS आतंकी इन्हीं छेदों का सहारा लेकर गोली चलाते हैं। दोनों पक्ष जहां अपनी-अपनी युद्ध नीति बनाने मंI व्यस्त हैं, वहीं मोसुल में फंसे 4 लाख से ज्यादा लोगों की मजबूरी यह है कि वे बहुत मजबूर हैं। ना उन्हें अपने लिए कोई फैसले लेने का अधिकार है और ना ही वे इस स्थिति में हैं कोई फैसला ले सकें। फिलहाल तो वे बस अपने दिन गिन रहे हैं।