पहली बार तीन लोगों के योगदान से पैदा हुआ बच्चा, पढ़िये कैसे?

0
2 of 2Next
Use your ← → (arrow) keys to browse

न्यूयॉर्क के न्यू होप फर्टिलिटी क्लिनिक के डॉक्टर जॉन झांग बताते हैं कि मां के अंडाणु से न्यूक्लियस लेकर उसमें डोनर के अंडाणु में डाल दिया जाता है। डोनर के अंडाणु से उसका न्यूक्लियस पहले ही निकाल दिया जाता है लेकिन उसमें डोनर के स्वस्थ माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए मौजूद रहते हैं। आम डीएनए के उलट माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए मनुष्य की कोशिका ऊर्जा प्रदान करते हैं। कई वैज्ञानिक इस पद्धति से पैदा होने वाले बच्चों को “तीन अभिभावकों वाले बच्चे” कहने पर आपत्ति जताते हैं। ऐसे वैज्ञानिकों का कहना है कि इन बच्चों में महत्वपूर्ण डीएन दो लोगों के ही होते हैं ऐसे में उन्हें ‘तीन लोगों का बच्चा’ कहना उचित नहीं है।

इसे भी पढ़िए :  दुनिया के सबसे सुरक्षित होटल में पीएम मोदी ने बिताई रात

मासट्रिस्ट यूनिवर्सिटी के जीनोम सेंटर के प्रोफेसर बर्ट स्मीट्स ने द इंडिपेंडेंट से कहा, “आखिरकार माइटोकॉन्ड्रियल दान के बाद माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए म्यूटेशन से दुनिया के पहले बच्चे का जन्म हो गया। ब्रिटेन के न्यूकैसल ग्रुप ने पहले ही दिखा दिया था कि ये तरीका सुरक्षित है और अस्पतालों में इसकी सुविधा प्रदान करना संबंधित देश के कानूनों और समय की बात है।”

इसे भी पढ़िए :  गुजरात में स्वाइन फ्लू से अब तक 280 लोगों ने गंवाई जान
2 of 2Next
Use your ← → (arrow) keys to browse