कुडनकुलम न्यूक्लि‍यर पावर प्लांट रूस और भारत की दोस्ती की पहचान- पीएम मोदी

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कुडनकुलम

तमिलनाडु के कुडनकुलम स्‍थ‍ित न्‍यूक्‍ल‍ियर पावर प्‍लांट के यूनिट 1 को बुधवार को चालू कर दिया गया। वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के जरिए रूसी राष्‍ट्रपति ब्‍लादिमीर पुतिन, पीएम नरेंद्र मोदी और राज्‍य की सीएम जयललिता इसके उद्घाटन में शामिल हुए। लंबे वक्‍त तक चले विरोध प्रदर्शनों, हिंसा, हादसों, रिएक्‍टरों के बार बार फेल होने, सेफ्टी को लेकर उठने वाले सवालों के बीच कुडनकुलम न्‍यूक्‍ल‍ियर पावर प्‍लांट (KKNPP) के बारे में जानना बेहद दिलचस्‍प हो जाता है।

ऐसे हुई शुरुआत

कुडनकुलम पावर प्‍लांट रूस और भारत के बीच 1988 में हुए समझौते का नतीजा है। जिस दौरान कुडनकुलम प्‍लांट का प्रस्‍ताव रखा गया, उसी वक्‍त इससे मिलते जुलते दो अन्‍य प्रस्‍तावों को स्‍थानीय लोगों के विरोध के बाद निरस्‍त कर दिया गया था। ये प्‍लांट केरल के कन्‍नूर स्‍थ‍ित पेरिनगोम और एर्नाकुलम जिले के भूथाथनकेट्टू में लगने वाले थे। सरकारी स्‍कूल में टीचर और तत्‍कालीन एंटी न्‍यूक्‍ल‍ियर पावर प्रोजेक्‍ट के जनरल कन्‍वीनर एन सुब्रमण्‍यम की अगुआई में काफी प्रदर्शन हुए। इन प्रदर्शनों की वजह से 1991 में पेरिनगोम प्रोजेक्‍ट परवान नहीं चढ़ सका। अक्‍टूबर 2011 में भूथाथनकेट्टू के लोग भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए।

कुडनकुलम की वजह से ऐतिहासिक प्रदर्शन

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2000 की शुरुआत में कुडनकुलम के गांववालों के हितों को वजह बताते हुए उदयकुमार ने ग्रीन पार्टी लॉन्‍च की। अमेरिकी यूनिवर्सिटी से डॉक्‍टरेट हासिल कर चुके उदयकुमार ने भारत लौटकर कुडनकुलम न्‍यूक्‍ल‍ियर पावर प्‍लांट के करीब स्‍थ‍ित गांव इडिनथाकाराई में अपना ठिकाना बनाया। उदयकुमार के अलावा इस प्रोजेक्‍ट के विरोध में ताकत झोंकने वाले स्‍थानीय चर्च भी थे। कुडनकुलम प्‍लांट के विरोध में हुए प्रदर्शनों में 6000 से ज्‍यादा लोगों के खिलाफ राजद्रोह और देश के खिलाफ जंग छेड़ने का मामला दर्ज हुआ। केसों की संख्‍या देश में आतंकियों या माओवादियों के खिलाफ दर्ज ऐसे मामलों से भी कहीं ज्‍यादा थी। खुद उदयकुमार पर सबसे ज्‍यादा 101 केस दर्ज थे, जिनमें राजद्रोह का मामला भी शामिल था। छह साल पहले कुडनकुलम के विरोध में प्रदर्शन जब अपनी चरम पर थे तो महिलाओं समेत 182 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनमें से कई के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज हुआ। कुल 8000 मामले दर्ज हुए।

प्रोजेक्‍ट पर क्‍यों पैदा हुआ संदेह

995 मेगावॉट क्षमता वाले प्रेशराइज्‍ड वॉटर रिएक्‍टर्स वाले दो प्‍लांट VVER-1000 का निर्माण 2002 में शुरू हुआ। पहले रिएक्‍टर ने अक्‍टूबर 2012 से काम करना शुरू किया। एक साल बाद इसे इलेक्‍ट्र‍िसिटी ग्रि‍ड से जोड़ा गया। उम्‍मीद जताई गई कि अप्रैल 2014 के मध्‍य से इससे व्‍यवसायिक उत्पादन शुरू हो जाएगा। तमिलनाडु और केरल की आम जनता के मन में जिन कारणों की वजह से इस प्रोजेक्‍ट को लेकर डर बैठा, वो था प्रोजेक्‍ट को पूरा करने में हुई लंबी देरी, कथित तौर पर सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा की गई संदेहास्‍पद डील्‍स और प्‍लांट के लिए अहम कलपुर्जे उपलब्‍ध कराने वाली रूसी कंपनियों का संदिग्‍ध प्रोफाइल।

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प्‍लांट से जुड़े 45 कमीशनिंग टेस्‍ट हुए। एटॉमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड (AERB) और स्‍वतंत्र एक्‍सपर्ट्स की कई रिपोर्ट्स में बताया गया कि रेगुलेटरी बोर्ड ने फाइनल टेस्‍ट क्‍ल‍ियर करने के लिए 5 मई 2014 को कोशिश शुरू की। इसके तहत, रिएक्‍टर को 100 दिन तक 100 प्रतिशत क्षमता यानी फुल पावर पर ऑपरेट करना था। एक स्‍वतंत्र स्‍टडी के मुताबिक, ‘5 मई 2014 से 6 अगस्‍त 2016 के बीच 825 दिनों में रिएक्‍टर 217 दिनों के लिए 100 प्रतिशत फुल पावर पर ऑपरेट किया गया। हालांकि, यह लगातार नहीं बल्‍क‍ि 13 किश्‍तों में किया गया। सबसे ज्‍यादा वक्‍त तक इसे 100 प्रतिशत फुल पावर में 45 दिनों तक जनवरी-मार्च 2015 के बीच ऑपरेट किया गया। फुल पावर तक ऑपरेट करने की सभी 11 कोशिशें नाकाम रहीं। कभी इमरजेंसी शटडाउन करना पड़ा तो कभी पावर आउटपुट में गिरावट दर्ज की गई। फुल पावर पर ऑपरेट करने की आखिरी कोशिश 19 जुलाई 2016 को की गई।’ इंटरनेशनल न्‍यूक्‍ल‍ियर सेफ्टी स्‍टैंडर्ड्स में कमीशनिंग टेस्‍ट की अहमियत पर जोर दिया गया है। हालांकि, फाइनल कमीशनिंग टेस्‍ट में सभी नाकामियों को दरकिनार करने हुए न्‍यूक्‍ल‍ियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने 31 दिसंबर 2014 को रिएक्‍टर को कमर्शियल तौर पर चलाने की इजाजत दे दी।

स्‍टडीज के मुताबिक, इस रिएक्‍टर को फुल पावर में साल में 335 दिनों तक लगातार काम करना था, जबकि 30 दिन का वक्‍त रिफ्यूलिंग और मेंटेनेंस के लिए रखा गया था। हालांकि, कमर्शियल तौर पर चलाने की इजाजत मिलने के बाद शुरू होने के छह महीने बाद ही 24 जून 2015 को रिएक्‍टर को बंद कर दिया गया। इसके बाद, सात महीने तक मेंटेनेंस चला। मेंटेनेंस और रिफ्यूलिंग के बाद रिएक्‍टर को ग्रिड से 31 जनवरी 2016 को जोड़ दिया गया।

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बार बार हुए हादसे और एक्‍सपर्ट्स ने भी उठाए सवाल

14 मई 2014 को कुडनकुलम प्‍लांट में एक हादसा हुआ। प्‍लांट के फीड वाटर सिस्‍टम के एक पाइप के फटने से 6 कर्मचारी बुरी तरह झुलस गए और उन्‍हें गंभीर चोटें भी आईं। हाल ही में नेशनल ह्यूमन राइट कमीशन ने न्‍यूक्‍ल‍ियर पावर कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड पर 3 लाख रुपए का जुर्माना लगाते हुए यह रकम पीडि़तों को देने के लिए कहा है। कमीशन के बयान के मुताबिक, जांच में पता चला कि कुडनकुलम प्‍लांट में सेफ्टी से जुड़े मानकों में कमियां पाई गईं।

2013 में न्‍यूक्‍ल‍ियर साइंटिस्‍ट और अटॉमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड के पूर्व चेयरमैन ए गोपालकृष्‍णन ने प्‍लांट में इस्‍तेमाल घटिया क्‍वालिटी के कलपुर्जों पर सवाल उठाए। प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के न्‍यूक्‍ल‍ियर फिजिसिस्‍ट एमवी रमन्‍ना ने कहा कि प्‍लांट को चलाने की दिशा में कई मौकों पर मिली नाकामी से सेफ्टी को लेकर संकट पैदा हो गया है। मई 2013 में भी भारत के 60 नामी वैज्ञानिकों ने तमिलनाडु और केरल के सीएम को याचिका सौंपी और कुडनकुलम की निष्‍पक्ष व स्‍वतंत्र सेफ्टी ऑडिट की मांग की।