पाक में लुप्त होने की कगार पर है ‘जिन्ना की मातृभाषा’

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पड़ोसी देश में उन लोगों द्वारा ये भाषा बोली जाती है जो बंटवारे के समय पाकिस्तान गए थे और 1947 से पहले जो लोग बंटवारे के समय भारत नहीं आय, वो भी गुजरती बोलते हैं। इस समय देश के बुजुर्ग ही गुजराती बोलते और लिखते हैं जबकि अधिकतर युवा धाराप्रवाह गुजराती भी नहीं बोल सकते।

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