एक 22 साल की महिला पर कोड़े बरसाए जाने थे, मगर उसे गर्भवती होने की वजह से तात्कालिक छूट दे गई है, लेकिन आचे के डिप्टी मेयर जैनल अरिफिन ने कसम खाई है: ”बच्चे को जन्म देने के बाद उसे सजा दी जाएगी।” अधिकारी ने कहा कि उसे उम्मीद है कि बेंत मानने की सजा डेटरेंट (रोकने वाला) की तरह काम करेगी- ”हमें उम्मीद है कि बंदा आचे में अब ऐसा कोई नहीं है जो भविष्य में कानून तोड़ेगा।” आचे में कोड़े की सजा पाने वालों की संख्या में रोज बढ़ाेत्तरी हो रही है। हाल के दिनों में महिलाओं को कोड़े मारने की सजाओं में तेजी देखी गई है।
सुमेरिया द्वीप पर स्थिच आचे ने 2001 में विशेष स्वायत्तता मिलने के बाद शरिया कानून लागू करना शुरू किया। जकार्ता की केन्द्र सरकार ने यह कदम लंबे समय से चली आ रहे अलगाववादी विद्रोह को दबाने के लिए उठाया था। 2005 में केन्द्र सरकार से एक शांति समझौता उलझ जाने के बाद राज्य में इस्लामिक कानून और सख्त कर दिए गए हैं। 90 प्रतिशत से ज्यादा इंडोनेशियाई खुद को मुस्लिम बताते हैं, लेकिन ज्यादातर लोग आस्था के उदारवादी रूप में विश्वास रखते हैं।