नेशनल म्यूीजियम की वेबसाइट के अनुसार, ‘प्रतिमा (डांसिंग गर्ल) मोहनजोदड़ो के ‘एचआर एरिया’ की खुदाई के वक्तव मिली थी। इससे दो महत्विपूर्ण बातें पता चलती हैं। एक, कि सिंधु सभ्याता के कलाकार धातुओं को मिलाना और उन्हें ढालना जानते थे और शायद धातुकर्म के अन्या तकनीकी पहलुओं के बारे में भी उन्हें पता था। दूसरा, एक पूर्ण विकसित सभ्यकता के तौर पर सिंधु के लोगों ने मनोरंजन के लिए नृत्यं और अन्ये कलाओं की खोज कर ली थी। बाएं पैर का अागे की ओर झटका देना और पिछले पैर का दाहिनी ओर झुके होगा, हाथों की मुद्राएं, चेहरे के हाव-भाव और उठा हुआ सिर, नृत्य में लग्नुता दिखाते हैं। शायद उन शुरुआती कलाओं में से एक जिनमें नृत्यव के साथ ड्रामा, डॉयलॉग और शारीरिक भाव भंगिमाएं भी शामिल थीं।”
व्हीसलर ने इस लड़की की प्रतिमा को बेहद सराहा था। उन्हों ने लिखा था, ”मुझे लगता है कि वह करीब 15 साल की रही होगी, इससे ज्या दा नहीं लेकिन बांह पर चूडियों के सिवा कुछ न लिए खड़ी है। एक लड़की जो अपनी धुन में मगन है, आत्माविश्वाीस से भरी है। उसके जैसे कोई नहीं, मेरे ख्या ल से, पूरी दुनिया में।”