पाकिस्तान में हिंदुओं के साथ होली मनाकर बुरे फंसे नवाज,जारी हुआ फतवा

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पाकिस्तान में हावी कट्टरपंथ के मद्देनजर नवाज के इस बयान की काफी सराहना भी हुई थी। नवाज के इस भाषण को देश में अल्पसंख्यकों की स्थिति बेहतर करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इस मौके पर नवाज ने कहा, ‘खुदा किसी शासक से यह नहीं पूछेगा कि उसने एक खास धर्म और तबके के लोगों के लिए क्या किया। खुदा मेरे जैसे इंसानों से पूछेगा कि हमने उसके बनाए इंसानों के लिए क्या किया।’

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नवाज के इसी भाषण को इस्लाम की अवमानना बताते हुए जलाली ने PM द्वारा सार्वजनिक तौर पर माफी मांगे जाने की मांग की है। जलाली ने आरोप लगाया कि नवाज ने पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनते समय जो शपथ ली थी, उस प्रतिज्ञा का भी उन्होंने उल्लंघन किया है। नवाज पहले ऐसे पाकिस्तानी राजनेता नहीं हैं, जिनके खिलाफ कुफ्र फतवा जारी हुआ हो। इससे पहले पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के प्रमुख इमरान खान पर भी ईशनिंदा का आरोप लगा था। इमरान को बाद में अपने शब्द वापस लेने पड़े थे। लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सार्वजनिक माफी भी मांगी थी।

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बता दें कि ईशनिंदा के मुद्दे पर पाकिस्तान में हमेशा से विवाद रहा है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि किसी समुदाय के प्रति नफरत की भावना से भरी बातों को केवल इस आधार पर स्वीकार नहीं किया जा सकता कि वह धार्मिक संदर्भ में कही गई है। कुफ्र का मतलब ‘इस्लाम की शिक्षाओं और इसमें बताए गए सच’ को नकारना या फिर इसे मानने से इनकार करना होता है। ईशनिंदा के आरोपी पर कुफ्र का आरोप लगता है।

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