साल 2011 में अल कायदा और तालिबान के अड्डों पर अमेरिका ने बमबारी की। जिसमें 30 लाख लोग प्रभावित हुए और उन्होंने सिर छुपाने के लिए पाकिस्तान की सरज़मी का सहारा लेना पड़ा। साल 2011 से ये 30 लाख लोग पाकिस्तान में शरण लिए हुए हैं। लेकिन अब पाकिस्तान भी इन्हें इनके मुल्क यानी अफगानिस्तान भेजना चाहता है। ये 30 लाख अफगानी शरणार्थी पाकिस्तान में अब सिर्फ छ महीने रह पाएंगे। पाकिस्तान ने पहले ही इस बात की पुष्टि कर दी है की इन शरणार्थियों की समय सीमा पूरी होते ही इन्हे वापस कर दिया जाएगा। इन लोगों में 15 लाख बिना पंजीकरण वाले हैं और 15 लाख पंजीकृत हैं। अब इनके ऊपर देश
छोड़ने का दबाव डाला जा रहा है। हालांकि इन शरणार्थियों की समय सीमा आज खत्म हो चुकी है, जिसे बढ़ाकर 31 दिसंबर 2016 कर दिया गया है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा की जो लोग वापस जाएंगे उन्हे शिविरों में रहने के लिए पाकिस्तान तीन साल तक फ्री अनाज देगा। गौरतलब है कि, इसके पहले अफ़ग़ानिस्तान इन लोगों को 2 साल और ठहरने के लिए आग्रह कर चुका है, ताकि उसे थोड़ी तैयारी का समय मिल जाए।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अज़ीज़ का मानना है कि ये शरणार्थी देश के लिए खतरा बन गए हैं चूंकि आतंकवादी छिपने के लिए इनके कैम्पों का सहारा लेते हैं।