डॉन के मुताबिक आयोग ने कहा है, ”ATA जन प्रतिनिधियों, नौकरशाहों पर भी समान रूप से लागू होता है और उन्हें प्रतिबंधित संगठनों के स्वयंभू सदस्यों से ‘नजदीकी’ नहीं रखनी चाहिए।” अखबार के मुताबिक आयोग ने इस बात पर जोर दिया कि पाखंडी रवैये पर रोक लगनी चाहिए। अखबार के मुताबिक आयोग ने कहा है कि सभी सरकारी मुलाजिम कानून से बंधे हुए हैं, उन्हें इसका पालन करना चाहिए या फिर नतीजे भुगतने चाहिए। आयोग ने कहा कि हर किसी को प्रतिबंधित किए गए संगठनों के बारे में जानकारी देने की जरूरत है।
क्वेटा हमले में 74 लोगों की मौत हुई थी। आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों वाली एक बेंच के सामने 110 पेज की अपनी जांच रिपोर्ट पेश कर दी है। रिपोर्ट में आयोग ने यह भी कहा, ‘आतंकवादी संगठनों को रैलियां और बैठक करने की इजाजत नहीं होनी चाहिए। लोगों को इसके बारे में जानकारी दी जानी चाहिए कि ऐसे संगठनों को क्यों प्रतिबंधित किया गया।’































































