विधेयक पर मुहर लगाते हुए कमिटी के चेयरपर्सन मुताहिदा कौमी मूवमेंट की सीनेटर नसरीन जलील ने कहा,’यह अनुचित था न केवल इस्लाम के मूल्यों के खिलाफ बल्कि मानवाधिकारों का भी उल्लंघन है — कि पाकिस्तान के हिंदुओं के लिए हमने अपने देश के व्यक्तिगत कानून को बदला। हालांकि सीनेटर एतजाज अहसन, डा. जहानजेब जमालदिनी और सितारा अयाज विधेयक का समर्थन कर रहे हैं। इन्होंने पहले कहा था कि यह विधेयक पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं के लिए हैं और इससे मुस्लिम प्रभावित नहीं होंगे।
डा. रमेश कुमार वंक्वानी ने देश में हिंदू विवाह अधिनियम के लिए तीन सालों तक लड़ाई लड़ी और इसके बाद उन्होंने संसद का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा, ‘ऐसे कानूनों से जबरन धर्मांतरण जैसे मामलों में मदद मिलेगी।‘ साथ ही उन्होंने कहा कि विवाहित हिंदू महिलाओं के लिए यह साबित करना कि वे विवाहित हैं, काफी मुश्किल होता था और इससे कुछ असामाजिक तत्वों को जबरन धर्मांतरण का मौका मिलता था।
इस कानून से ‘शादी परठ’ नामक दस्तावेज का मार्ग प्रशस्त होगा। यह दस्तावेज ‘निकाहनामा’ की तरह होगा जिस पर पंडित दस्तखत करेगा और यह प्रासंगिक सरकारी विभाग में पंजीकृत होगा।
बहरहाल, हिन्दू सांसदों और समुदाय के सदस्यों ने विधेयक के एक प्रावधान पर चिंता जाहिर की है जो शादी के निरस्तीकरण से संबंधित है।