बुधवार को जारी यह अध्ययन कहता है कि लेकिन इसके विपरीत 2015-60 के दौरान सभी अन्य बड़े पंथों में जन्म लेने वाले शिशुओं की कुल संख्या तेजी से गिरने की संभावना है।
‘बदलते वैश्विक धार्मिक परिदृश्य’ नामक यह अध्ययन कहता है, ‘जन्म लेने वाले शिशुओं की संख्या में गिरावट खासकर हिंदुओं में नाटकीय होगा- काफी हद तक भारत में घटती प्रजनन दर के चलते वर्ष 2055-60 के दौरान इस पंथ में जन्म लेने वालों शिशुओं की संख्या 2010-2015 के बीच जन्म लेने वाले शिशुओं की संख्या से 3.3 करोड़ कम होगी। भारत वर्ष 2015 तक दुनिया में 94 फीसदी हिंदुओं का आवास स्थल है।’ अध्ययन के अनुसार जनसंख्या वृद्धि के लिहाज से इस्लाम दुनिया में सबसे बड़ा धर्म है। वर्ष 2010-2015 के बीच मुसलमानों की जनसंख्या में 15 करोड़ से अधिक की वृद्धि हुई।