अमेरिका ने अफगानिस्तान में ISIS के ठिकानों पर अपना सबसे बड़ा गैर-एटमी MOAB बम गिराकर अफगानिस्तान को हिलाकर रख दिया है। इस घटना के बाद अफगानिस्तान सरकार ने हमले की कड़ी निंदा की है। लेकिन एक और खुलासा ये भी हुआ है कि अफगानिस्तान को इस हमले की पहले से ही जानकारी हो गई थी।
अफगानिस्तान सरकार ने कहा है कि उसे अमेरिकी हमले की सूचना दी गई थी जिसके बाद ही अमेरिका ने पूर्वी क्षेत्र में आईएस के ठिकानों पर खतरनाक बम हमला किया। हालांकि पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने अमेरिकी हमलों की निंदा की और कहा कि अमेरिका ने अफगानिस्तान को नए और खतरनाक हथियारों का ‘टेस्टिंग ग्राउंड’ बना दिया है। करजई ने कहा कि अमेरिका ने जो किया है वह आतंकवाद के खिलाफ नहीं बल्कि अमानवीय और खौफनाक है। काबुल स्थित रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार एक बयान में कहा, ‘यह हमला अफगानिस्तान के बलों व देश में मौजूद विदेश बलों के आपसी सहयोग से किया गया।’
हमले के बाद व्हाइट हाउस के प्रवक्ता सान स्पाइसर ने यह भी कहा है कि इस हमले में आम आदमी को क्षति नहीं हुई है। दूसरी तरफ अपुष्ट सूत्रों से खबरें आ रही है कि इसमें कुछ नागरिक मारे गए हैं। मारे जाने वालों में औरतों और बच्चों के होने का भी दावा किया जा रहा है।
दैनिक जागरण की खबर के मुताबिक मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि अफगानिस्तान के बल आतंकवाद को हटाने और दुनियाभर में शांति व स्थिरता स्थापित रखने के लिए लड़ते रहेंगे। वहीं, राष्ट्रपति अशरफ गनी ने बताया कि हवाई हमलों के दौरान नागरिक हताहत न हो, इसके लिए पर्याप्त कदम उठाए गए थे। गौरतलब है कि अमेरिका ने गुरवार को अफगानिस्तान के ननगरहार प्रांत में आईएस के ठिकानों पर सबसे ब़़डा गैर-परमाणु बम गिराया है। आईएस के खिलाफ ट्रंप की यह पहली कार्रवाई है।
ट्रंप ने सेना की इस कार्रवाई को अत्यधिक सफल मिशन करार दिया है और कहा कि अमेरिका के पास दुनिया की सबसे ताकतवर सेना है जिसे वह पूरी क्षमता से कार्य करने का अधिकार देते हैं। ट्रंप ने कहा कि वह नहीं जानते हैं कि अफगानिस्तान में हुई कार्रवाई से किस तरह का संदेश उत्तर कोरिया को पहुंचा है। अगर वह कुछ नहीं समझ रहा तो यह उसकी समस्या है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर आप पिछले आठ हफ्तों में हुए कार्यो की तुलना पिछले आठ सालों में हुए कार्यो से करेंगे, तो पाएंगे कि जबर्दस्त बदलाव आया है। पाएंगे कि सेना के आत्मविश्वास में जबर्दस्त बढ़ोरी हुई है। उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान में वहां की अशांति से निपटने के लिए नौ हजार अमेरिकी सैनिक तैनात हैं।