नई दिल्ली। देश में मौजूद ऐसे स्कूलों की एक रिपोर्ट सोमवार(8 अगस्त) को संसद में पेश की गई, जहां स्कूल केवल एक अध्यापक के भरोसे चल रहा है। इस रिपोर्ट में और भी कई ऐसे आंकड़े मौजूद हैं जो देश की शिक्षा व्यवस्था को खस्ताहाल बताने के लिए काफी है।
रिपोर्ट के मुताबिक, देश में करीब 1,05,630 प्राथमिक और माध्यमिक सरकारी स्कूल ऐसे हैं जहां केवल एक शिक्षक ही स्कूल का संचालन कर रहा है। इस मामले में सबसे खराब स्थिति मध्य प्रदेश की है, जहां ऐसे स्कूलों की संख्या 17,884 है। जानकारों का कहना है कि यह तो महज एक सरकारी आंकड़े हैं, अगर जांच हो तो असली स्थिति इससे भी खराब हो सकती है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, अन्य राज्यों की बात करें तो एक शिक्षक के भरोसे चल रहे स्कूलों में मध्य प्रदेश के बाद दूसरे स्थान पर है उत्तर प्रदेश, जहां 17,602 सरकारी स्कूल ऐसे हैं, जहां सिर्फ एक ही शिक्षक मौजूद है। ये शिक्षक पूरे स्कूल का प्रबंधन और शिक्षा व्यवस्था अकेले ही संभाले हुए हैं। ऐसे राज्यों की सूची में एमपी और यूपी के बाद तीसरे स्थान पर राजस्थान (13,575), चौथे स्थान पर आंध्र प्रदेश (9,540) और पांचवे पर झारखंड (7,391) है।
दूसरे राज्यों की तुलना में केंद्र शासित राज्यों में ऐसे स्कूलों की तादाद कम है, मगर राजधानी दिल्ली में भी ऐसे स्कूलों की संख्या 13 है। बीते दिनों अपने फर्जी टॉपर्स को लेकर चर्चा में रहे बिहार की बात करें तो वहां के हालात यूपी-एमपी से कहीं बेहतर हैं, क्योंकि बिहार में 3,708 स्कूल ऐसे हैं, जहां सिर्फ एक अध्यापक मौजूद है।
संसद में यह रिपोर्ट मानव संसाधन राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने पेश की। शिक्षा के अधिकार कानून के मुताबिक, सरकारी व निजी स्कूलों में 30 से 35 बच्चों पर एक शिक्षक की मौजूदगी अनिवार्य है। मगर इन हालातों को देखकर बच्चों के भविष्य का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।