16 साल बाद इरोम शर्मिला ने तोड़ा अनशन, कहा- बनना चाहती हूं मणिपुर की CM

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इंफाल:16 साल का लंबा इंतजार आज खत्म हो गया।  इरोम शर्मिला चानू ने आज AFSPA के खिलाफ अपनी भूख हड़ताल खत्म कर दी। 5 नवंबर 2000 वो आखिरी दिन था जब इरोम ने खाने का स्वाद चखा था। इंफाल के मालोम गांव में 10 लोगों के मारे जाने के बाद इरोम ने तब तक खाना न खाने की कसम खाई थी जब तक कि ये कानून खत्म नहीं कर दिया जाता।

44 वर्षीय शर्मिला ने आज स्थानीय अदालत में अपना उपवास खत्म किया। आज उन्हें न्यायिक मेजिस्ट्रेट के सामने भी पेश किया गया और अनशन तोड़ते ही उन्हें न्यायिक हिरासत से रिहा कर दिया गया।अनशन तोड़ने के तुरंत बाद इरोम ने कहा कि मैं मणिपुर की सीएम बनना चाहती हूं ताकि बदलाव आ सकें। मेरी  शिक्षा बहुत कम है लेकिन मैं सकारात्मक बदलाव के लिए काम करूंगी। मेरा पहला काम होगा  AFPSA को हटाना।  मैं अपनी मां को तभी देखूंगी जब मुझे मंजिल मिल जाएगी। मुझे किसी तरह की सुरक्षा भी नहीं चाहिए।

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अनशन खत्म करने के साथ इरोम ने शादी करने और राजनीति में आने की इच्छा जताई थी, जिसके बाद एक संगठन ने उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी थी। इससे पहले उन्होंने कहा था कि वह नौ अगस्त को अपनी भूख हड़ताल खत्म कर देंगी और मणिपुर में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ेंगी। उन्होंने कहा कि वह विवाह करने जा रही हैं।

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गौरतलब है कि 42 साल की इरोम ने बीते 16 सालों से न कुछ खाया है और न पीया है। उन्हें नाक से जबरन आहार दिया जा रहा है। इरोम ने नवंबर, 2000 में सुरक्षा बलों के हाथों 10 नागरिकों की मौत के बाद आफ्स्पा हटाने की मांग करते हुए भूख हड़ताल शुरू की थी। भूख हड़ताल पर बैठने के तीन दिन बाद ही उन्हें मणिपुर सरकार ने खुदकुशी की कोशिश करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था।

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