कब्जे की जमीन पर बना दिया 50 करोड़ का प्रोजेक्ट। ये खबर पढ़कर आपको शायद आश्चर्य होगा। किसी ने जमीन खरीदी, किसी दूसरे ने उस जमीन पर कब्जा किया और उस पर पचास करोड़ की प्रॉपर्टी खड़ी कर दी। मामला गाजियाबाद के लोनी इलाके का का है। दिल्ली के रहने वाले सुनील कुमार ने साल 2003 में गाजियाबाद के लोनी में अनिल गुप्ता से एक जमीन खरीदी थी। सुनील कुमार की पत्नी के नाम उस जमीन की रजिस्ट्री भी हो गई थी। अगले सात सालों तक सब ठीक रहा। 2013 तक सुनील अपनी जमीन पर जाते रहे और उसका निरीक्षण करते रहे। साल 2013 में अचानक सुनील को सूचना मिली की रविंद्र सिंह नाम के शख्स ने उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया है और कंस्ट्रक्शन करवा रहा है। रविंद्र, दिल्ली पुलिस का रिटायर्ड कर्मचारी है।सुनील ने जब रविंद्र से बात की तो नई कहानी सामने आई। रविंद्र ने सुनील को बताया कि उसे वह जमीन अनिल गुप्ता ने बेची थी। अर्थात अनिल ने , सुनील कुमार को जमीन बेचने के बाद, वहीं जमीन फिर से रविंद्र को बेच दी। हालांकि.पीड़ित सुनील कुमार का आरोप है कि रविन्द्र दबंग किस्म का व्यक्ति है और दिल्ली पुलिस से रिटायरमेंट लेंने के बाद प्रॉपेर्टी डीलिंग के पेशे में उतर आया है। अब उस ज़मीन की कीमत करोड़ों में पंहुच गयी है जिसकी वजह से अनिल और रविन्द्र की नीयत ख़राब हुई। अब आलम ये है कि सुनील को जान से मारने की धमकी दी जा रही है। इसने दोनों के खिलाफ दिल्ली के शाहदरा थाने में एफआईआर दर्ज़ कराई है। सुनील कुमार के मुताबिक अनिल और रविन्द्र दोनों पार्टनर है।
इस मामले के तार दिल्ली और यूपी दोनों से जुड़े हुए हैं। दिल्ली पुलिस के आला अधिकारियों के दखल और कड़े रुख के बावजूद गुप्ता रविंद्र सिंह खुद को सही बता रहा है और पीड़ित के साथ नाइंसाफी कर रहा है। सरेआम नियम और कानून का मखौल उड़ाने की वजह से उलझता रविंद्र सिंह इस मामले में पुलिस को भी कटघऱे में खड़ा की कोशिश करता रहा है। पेशी के दौरान बड़ी बेशर्मी और तर्कहीन तरीके से अपना बचाव कर रहे रविंद्र सिंह का जमीन को लेकर किया गया हर दावा और तर्क पुलिस अधिकारियों ने खारिज कर दिया, और अब रविंद्र सिंह पुलिस से न सिर्फ बचता फिर रहा है बल्कि औरों पर सवाल खड़े पर करके अपना बचाव कर रहा है। कब्जा की गई जमीन पर रविंद्र ने ‘केशव काम्प्लेक्स’ के नाम से करोड़ों की प्रापर्टी भी खड़ी दी है। जबकि केशव कंपलेक्स के नाम से जाने जाने वाले अपार्टमेंट के सारे मूल कागजात रविंद्र सिंह के पास नहीं हैं।मूल कागजात सुनील कुमार और उनकी पत्नी अलका रानी के पास आज भी उपलब्ध है। केशव कंपलेक्स के फ्लैट के लिए बड़े-बड़े बैंकों से लोन दिलाए गए हैं, जो एक दूसरी तरह का फर्जीवाड़ा है। उधर अपनी जमीन के बदले इंसाफ की मांग कर रहा पीड़ित परिवार दर-दर की ठोकरें खा रहा है।
अगले पेज पर पढ़िए- इस केस के मुख्य साजिशकर्ता की कैसे हुई मौत