बाल विवाह एक कानूनी जुर्म है। ये आवाज़ दशकों से उठाई जा रही है, सरकार इस रूढ़ीवादी सोच को बदलने के लिए अभियान चलाती है, इसके लिए पैसा खर्च करती है, बावजूद इसके अभी भी हमारे देश के दबे कुचले इलाकों में छोटे बच्चे बाल विवाह की भट्टी में ढकेल दिए जाते हैं। जिसके बाद उनका बचपन पारिवारिक जिम्मेदारियों और काम के बोझ तले दबकर रह जाता है। हालांकि हमारे कानून में भी बाल विवाह कराने वालों के खिलाफ सख्त सज़ा के प्रावधान हैें। बावजूद इसके इस सामाजिक बुराई पर अभी भी पूरी तरह जीत हासिल नहीं की गई है।
हाल ही में मैरिटल स्टेस पर सामने आई एक सेंसस रिपोर्ट में बास विवाह से जुड़े कई सनसनीखेज़ तथ्य सामने आए हैं। रिपोर्ट बताती है कि राजस्थान में 10-14 साल के करीब 366 बच्चे ‘तलाकशुदा’ हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, इसी उम्र सीमा के भीतर करीब 3,506 ‘विडो’ हैं व 2,855 ‘सेपरेटेड’ हैं। दंपतियों के बीच अलगाव की समस्या व समाधान को लेकर एक सर्वे किया गया। इसमें सामने आया कि 10 साल से लेकर 14 साल की उम्रसीमा में 2.5 लाख विवाहित लोग हैं व 15-19 साल के बीच इनकी संख्या 13.62 लाख है।
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