नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि एक हिंदू समाज में अभिभावकों की देखरेख करना बेटे का दायित्व है और पत्नी का अपने पति को उसके परिवार से अलग करने का सतत प्रयास ‘‘क्रूरता’’ होता है जिसके चलते पति उसे तलाक दे सकता है।
न्यायमूर्ति अनिल आर दवे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की एक पीठ ने कर्नाटक के एक व्यक्ति द्वारा तलाक की मांगी गई अनुमति को मंजूरी देते हुए यह व्यवस्था दी।
इसके साथ ही पीठ ने कर्नाटक हाई कोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें बेंगलूर की परिवार अदालत द्वारा वर्ष 2001 में दी गई तलाक की अनुमति को खारिज कर दिया गया था।