न्यायिक नैतिकता के साथ समझौता नहीं होना चाहिए: CJI

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फाइल फोटो।

नई दिल्ली। देश के प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर ने सोमवार(31 अक्टूबर) को कहा कि न्यायिक नैतिकता के साथ कभी भी समझौता नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि असामान्य घटनाओं से पूरी न्याय प्रणाली की छवि खराब हो सकती है। इसके साथ ही उन्होंने न्यायाधीशों से कहा कि उन्हें उनकी सत्यनिष्ठा के बारे में लोगों की धारणा के बारे में आत्मचिंतन करना चाहिए।

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प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि ‘‘हमें अपनी सत्यनिष्ठा के संबंध में लोगों की धारणा को लेकर आत्मचिंतन करना चाहिए। यह देखना अफसोसजनक है कि किसी न किसी स्तर पर कभी-कभी होने वाली ‘‘असामानय घटनाओें’’ से पूरी न्याय प्रणाली की छवि खराब होती है।’’ वह दिल्ली उच्च न्यायालय के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित कर रहे थे।

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उन्होंने कहा कि ‘‘मैं समझता हूं कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने काफी उपलब्धियां हासिल की हैं, लेकिन ऐसी घटनाएं नहीं हों, यह सुनिश्चित करने के लिहाज से और बहुत कुछ करने की जरूरत है। मैं सिर्फ उम्मीद करता हूं कि न्यायाधीश सभी स्तरों पर अतिरिक्त सतर्कता बरतेंगे ताकि संदेह के लिए कोई गुंजाइश नहीं रहे या ऐसा कुछ नहीं हो जो न्यायिक नैतिकता और पेशेवर ईमानदारी के अनुरूप न हो।’’

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इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, दिल्ली हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति बी डी अहमद के अलावा सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के कई न्यायाधीश भी मौजूद थे।