यूपी की सत्ता में भाजपा को आने से रोकने के लिए सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव, प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने जहां महागठबंधन को मुकाम दिलाने में पूरा जोर लगा दिया है, वहीं सूत्रों की माने तो अखिलेश यादव यह महागठबंधन नहीं चाहते। अखिलेश का मानना है कि इससे जनता में सपा की कमजोरी का संदेश जाएगा कि एक अकेली भाजपा को रोकने के लिए उनकी पार्टी कई दलों का सहारा लेने को विवश है। ऐसे में अखिलेश ने इन कोशिशों में टांग अड़ाना शुरू कर दिया है। हाल में प्रशांत किशोर ने जब अखिलेश से मिलकर उन्हें भी महागठबंधन को लेकर भरोसे में लेने की कोशिश की तो अखिलेश ने साफ मिलने से मना कर दिया। कहा जा रहा है कि अगर अखिलेश अपने रुख में नरमी नहीं करेंगे तो फिर से मुलायम सिंह यादव का मुंह फूल सकता है।
दरअसल सबसे पहले सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव की दिल्ली में कांग्रेस के यूपी चुनाव के लिए रखे गए रणनीतिकार प्रशांत किशोर से बातचीत हुई थी। इसके बाद बीते चार नवंबर को शिवपाल के आवास पर प्रशांत किशोर को लंच पर बुलाया गया। यहां सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव भी आकर दोबारा पीके से मिले। सूत्र बता रहे हैं कि बातचीत के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि कांग्रेस युवराज राहुल गांधी को महागठबंधन पर कोई एतराज नहीं है। वहीं महागठबंधन की स्थिति में अखिलेश यादव ही मुख्यमंत्री पद का चेहरा होंगे।
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