नोटबंदी ने पलट दिए सारे सियासी समीकरण, थम गई चुनावी रैलियां, रूक गई प्रचार की रफतार

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नोटबंदी

500 और 1000 के नोटों के बंद के ऐलान के बाद से ही देश भर में हड़कंप का महौल बना हुआ है। नोटबंदी के इस फैसले से लोगों को काफी परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। लेकिन केंद्र सरकार के इस फैसले से राजनीतिक पार्टियों के मंसूबों पर भी पानी फिर गया है। नोटबंदी के कारण चुनाव की तैयारी में जुटे सियासी दलों के अभियानों व कार्यक्रमों पर ग्रहण लग गया है व सभी दलों को चुनाव के लिए नए सिरे से अपनी रणनीति बनाने के लिए मजबूर कर दिया है। फिर चाहे सपा की रथयात्रा हो, बीजेपी की परिवर्तन यात्रा या फिर बसपा का भाईचारा सम्मेलन, सब थम गये है। सभी अखबार जो चुनावी यात्राओं और अभियानों की खबरों से भरे रहते थे, नोटबंदी के आदेश के बाद सभी खबरें गुम सी हो गई हैं।

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वहीं खबर है कि आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने नोटों के मुद्दे को लेकर पैदा हुई स्थिति के मद्देनजर अपना गुजरात का एक दिन का दौरा रद्द कर दिया है। पार्टी सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि केजरीवाल को गुजरात में महुआ जाना था, जहां उनका एक समारोह में शामिल होने का कार्यक्रम था। दिल्ली के मुख्यमंत्री की ओर से अब उनके कैबिनेट सहयोगी सत्येन्द्र जैन इस समारोह में शामिल होंगे। गौरतलब है कि गुजरात में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं।

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