यहां 7 साल की उम्र में बच्चों को दी जाती है शारीरिक संबंध बनाने की ट्रेनिंग, ऐसी है ये ‘फ्री लव कम्युनिटी’

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शारीरिक संबंध

वैसे तो 6-7 साल की उम्र में बच्चे खिलौनों से खेलते दिखते हैं लेकिन एक जनजाति ऐसी है जहां इस उम्र में बच्चों को शारीरिक संबंध बनाने का पाठ पढ़ाया जाता है। जी हां ये एकदम सच है। पापुआ न्यू गिनी में ट्रॉबिएंडर्स जनजाति रहती है। जो ना सिर्फ इस उम्र में बच्चों को रिलेशन बनाने की शिक्षा देते हैं बल्कि 11-12 साल की उम्र में बच्चों की शादी भी कर देते हैं।

फिजिकल रिलेशन के लिए बच्चों को बकायदा ट्रेनिंग भी दी जाती है। लड़के और लड़की का चुनाव उनके परिवार वाले आपसी सहमति से करते हैं। जिन लड़के-लड़की के बीच फिजिकल रिलेशन हुए हैं, अमूमन उनके बीच ही शादी होती है।
हालांकि, लड़के-लड़की की आपसी सहमति हो तो वे पार्टनर बदल भी सकते हैं। 11-12 साल की उम्र होते ही उस लड़के-लड़की शादी कर दी जाती है। यह परंपरा सालों से चली आ रही है। इसके चलते बच्चे कम उम्र में ही परिपक्व हो जाते हैं। 20 साल की उम्र होते-होते तो ये चार-पांच बच्चों के माता-पिता बन चुके होते हैं। वहीं, बच्चों से छोटी सी उम्र से ही काफी शारीरिक काम भी करवाया जाने लगता है।
ट्रॉबिएंडर्स जनजाति के शादी से जुड़े अजीबोगरीब नियम ही इन्हें अन्य जनजातियों से अलग करते हैं। शादी से पहले लड़की अपने पसंद के लड़के के घर पर रात बिता सकती है, लेकिन सुबह उसे घर लौटना होता है। सुबह खुद लड़की की मां कपल के लिए खाने-पीने की चीजें लेकर आती है। इसके बाद बेटी को ले जाती है। वहीं, शादी-शुदा जोड़े को एक साल तक साथ रहना ही होता है, इसके बाद वे चाहें तो अलग-अलग रह सकते हैं। शादी का एक अजीब नियम यह भी है कि अगर लड़की किसी बच्चे को जन्म देती है तो उसे पिता का घर छोड़ना ही पड़ता है। इसके बाद लड़की चाहे तो वो अपनी पसंद के लड़के के साथ रह सकती है। ऐसे रिवाजों और परंपराओं के चलते इस आईलैंड पर रहने वाली कम्युनिटी को ‘फ्री लव कम्युनिटी’ भी कहा जाता है।

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आपको बा दें कि पापुआ न्यू गिनी की ‘मिलने’ खाड़ी में रहने वाली ट्रॉबिएंडर्स जनजाति की संख्या 12 हजार के करीब है। यहां अब भी जनजाति के ही नियम चलते हैं। कह सकते हैं कि ये पूरी दुनिया से अलग हैं। ये जनजाति अपने जीवनयापन के लिए खेती-किसानी, पशुपालन और शिकार से करती है। इनकी भाषा भी अलग है। बाहरी दुनिया के बहुत ही कम लोग इनकी भाषा समझ सकते हैं।

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साभार- दैनिक भास्कर