भ्रष्टाचार और जाली नोटों के खिलाफ 8 नवंबर की आधी रात को पीएम मोदी ने नोटबंदी का एलान किया। बिना किसी तैयारी से उठाए गये इस कदम से देश की आवाम को लगातार भुगतना पड़ रहा है। नोटबंदी के चलते मौतों का सिलसिला जारी है। देशभर में 100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी हैं, जिनका कई न कई इस से ताल्लुक जरूर है।
एक बार फिर नोटबंदी के चलते जानहानि का मामला सामने आया है। जिसमें 54 वर्षीय राकेश चंद ने बैंक से पैसे न मिल पाने पर आत्महत्या कर ली। आपको बता दे, राकेश एक पूर्व फौजी है जिन्होंने सीआरपीएफ में अपनी सेवाएं दी थीं। राकेश साल 1990 में कश्मीर के बारामुला में हुए हमले के सर्वाइवर थे। हमले के दौरान उन्होंने अपने सीने पर पांच गोलियां खाई थीं।
बीते सप्ताह से बुढ़ाना निवासी राकेश ताजगंज स्थित एसबीआई ब्रांच इलाज के लिए पैसे लेने हर रोज आ-जा रहे थे। जानकारी के मुताबिक, वह इलाज के लिए रुपये निकालने बैंक में आते और जब कैश निकालने में कोई सफलता नहीं मिलती, तो वापस लौट जाते। शनिवार सुबह हालातों से तंग आकर उन्होंने लाइसेंसी बंदूक से खुद को गोली मार ली।
नवभारत टाइम्स के मुताबिक, राकेश के बेटे सुशील कुमार ने बताया, ‘मेरे पिता को पैसों की तत्काल जरूरत थी। उन्हें सिर्फ 15 हजार मासिक पेंशन मिलती थी, जिसमें 6000-7000 रुपये दवा आदि में खर्च हो जाते थे।’
सुशील भी पहले बीएसएफ में थे, जिसके बाद उन्होंने रिटायरमेंट ले लिया। उन्होंने बताया, ‘पिता डिप्रेशन का भी इलाज करवाना चाहते थे। बीते महीने से वह खुद को टूटा हुआ महसूस कर रहे थे। थक-हारकर जब बैंक से रुपये नहीं निकले, तो उन्होंने अपनी जान दे दी।’ उन्होंने बताया कि बारामुला हमले में उन्हें सीने पर पांच गोलियां लगी थीं, जिससे उन्हें ह्रदय सम्बंधी समस्याएं होने लगी थीं।