कालाधन, आतंकवाद और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए मोदी सरकार ने 8 नवंबर को एक अहम फैसला लिया। जिसमें 500 और 1000 के पुरान नोट बंद करने की बात कही उन्होंने कहा था, कि इस फैसले से लोगों का ही लाभ होगा, और देश का विकास होगा। इसके लिए उन्होंने 50 दिन का समय दिया था। जिसकी अवधि आज पुरी हो गई है।
लेकिन अब यह देखना दिल्चस्प होगा की केंद्र सरकार का यह फैसला कितना सही साबित हुआ है। ‘हिन्दूस्तान’ ने इसका जवाब तलाशने के लिए पिछले 50 दिनों के तथ्यों का विश्लेषण किया। जिसके बाद यह सामने आया कि काले कारोबार करने वालों पर कुछ लगाम तो लगी है पर नोटों की किल्लत अभी कायम है। जिससे बड़े कारोबारियों को कोई दिक्कत नहीं हो रही है, बल्कि आम जनता जो रोज बैंको और एटीएम की लाइन लगकर नोटों को जमा कराने और निकालने के लिए परेशान हो रही है, उनपर इसकी भारी मार पड़ी है।
इतना ही नहीं बल्कि हर रोज रिजर्व बैंक नए आदेश जारी करने से केंद्रीय बैंको को भी काफी परेशानी हुई है। नए आदेश के साथ उन्हें अपने बैंक के नियम भी बदलने पड़े, जिससे लोगों का गुस्सा और बढ़ता गया।