खांटी राजनीति- गठबंधन हुआ तो कैसे मिलेंगे सुर-ताल ?

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गठबंधन
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‘27 साल यूपी बेहाल’ का नारा देकर चुनाव मैदान में कूदी कांग्रेस अचानक बदहाली के मुद्दे को भुलाते हुए समाजवादियों से गठबंधन करने को तैयार हो गई। 1996 में बसपा से गठबंधन करने का कड़वा अनुभव लेने के बाद भी बहरहाल सपा और कांग्रेस ने गठबंधन का मन बना लिया है। लेकिन चुनावी गठबंधन को जमीन पर लाने तक अभी कई पेंच फंसते नजर आ रहे है।

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पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 28 सीटों पर जीत हासिल की और 31 क्षेत्रों में दूसरे स्थान पर रही थी। गठबंधन में कांग्रेस की ओर से सौ सीटों पर दावेदारी जताई जा रही है। पहले व दूसरे पायदान वाली सीटों के अलावा कांग्रेस उन विधानसभा क्षेत्रों में हिस्सेदारी चाहती है जहां उसके उम्मीदवार गत चुनाव में तीस हजार से ज्यादा वोट पा गए थे। ऐसी स्थिति में सपा के बहुत सारे विधायक गठबंधन में टिकट नहीं पा सकेंगे। पहली परीक्षा सीटों के बंटवारे को लेकर होगी। कम से कम दो दर्जन विधानसभा क्षेत्र ऐसे है, जहां दोनों दलों के बीच तकरार की संभावनाएं कुछ ज्यादा है। सहारनपुर की देवबंद सीट पर दोनों की दावेदारी जोरदार है क्योंकि 2012 में यहां सपा प्रत्याशी राजेंद्र राणा विजयी हुए थे परंतु उनके निधन के बाद गत वर्ष फरवरी में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के माविया अली काबिज हो गए।

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