समाजवादी पार्टी के दोनों गुटों द्वारा उम्मीदवारों की सूची में देवबंद से पूर्व मंत्री स्व. राजेंद्र राणा की पत्नी मीना राणा को उम्मीदवार घोषित किया गया है। ऐसे में सीट को लेकर टकराव की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि मुस्लिम बाहुल्य वाली देवबंद सीट को दोनों पार्टियां अपने पास रखने का दबाब बनाएंगी। सहारनपुर की ही नकुड़ सीट पर भी तकरार संभव है। गत चुनाव में कांग्रेस के मुस्लिम चेहरों में शुमार इमरान मसूद 84,498 वोट बटोरने के बाद भी मामूली अंतर से हार गए थे। इमरान को कांग्रेस दोबारा चुनाव मैदान में उतारना चाहेगी तो सपा के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष चौधरी इरशाद की दावेदारी आड़े आएगी। सहारनपुर नगर में पूर्व मंत्री व सपा उम्मीदवार संजय गर्ग को बदलने पर भी कांग्रेस अड़ेगी क्योंकि इस सीट पर गत चुनाव में पंजा निशान पर 75,544 वोट प्राप्त हुई थी। वहीं अमेठी में गायत्री प्रसाद की सीट भी फंसेगी। राहुल गांधी अपने संसदीय क्षेत्र की अधिक से अधिक सीटें कांग्रेस के पास रखना चाहेंगे। अमेठी सीट पर गत चुनाव में गायत्री ने कांग्रेस प्रत्याशी अमिता सिंह को शिकस्त दे जीत प्राप्त की थी। लेकिन इस बार कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के चेयरमैन व सांसद संजय सिंह अमेठी पर झंडा फहराने के लिए अपनी पत्नी अमिता सिंह को फिर से टिकट दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। शामली सीट पर भी कमोबेश ऐसे ही हालात बनेंगे। यहां से कांग्रेस के पंकज मलिक विधायक हैं परंतु सपा की ओर पूर्व मंत्री वीरेंद्र गुर्जर के पुत्र मनीष को उम्मीदवार घोषित किया जा चुका है।
रामपुर में कांग्रेस और सपा के बीच में सीधा टकराव रहा है। कैबिनेट मंत्री आजम खां और कांग्रेस के बीच तल्ख रिश्ते किसी से छिपे नहीं। पिछले चुनाव में रामपुर की स्वार सीट पर कांग्रेस जीती थी हालांकि विधायक काजिम अली उर्फ नवेद मियां बसपा में शामिल हो चुके हैं पंरतु कांग्रेस अपनी दावेदारी न छोड़ेगी। स्वार सीट से सपा की ओर से आजम खां के पुत्र अब्दुल्ला को टिकट घोषित किया चुका है। अब्दुल्ला पहली बार चुनाव मैदान में होंगे ऐसे में कांग्रेस को बैकफुट पर आना होगा वरना स्वार सीट पर कड़वाहट बढ़ सकती है। मेरठ शहर सीट भले ही सपा अथवा कांग्रेस के पास वर्तमान में नहीं हो लेकिन टिकट को लेकर दोनों में तनातनी बढ़ने की उम्मीद जतायी जा रही है। सपा की ओर रफीक अंसारी की उम्मीदवारी है और रफीक को रामगोपाल यादव का निकटस्थ माना जाता है। वहीं, कांग्रेस अपने प्रदेश उपाध्यक्ष यूसुफ कुरैशी को टिकट दिलाने पर अड़ेगी क्योंकि वह कांग्रेस के मुस्लिम चेहरों में शुमार हैं।
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