लखनऊ कैंट सीट को लेकर दोनों में तनातनी के आसार है। यहां से रीता बहुगुणा जोशी ने पंजा निशान पर जीत हासिल की थी। भले ही रीता इस समय भाजपा में हैं लेकिन राजधानी की अपनी इकलौती सीट को कांग्रेस देना नहीं चाहेगी लेकिन सपा ने इस सीट पर मुलायम परिवार की बहू अपर्णा यादव को उम्मीदवार घोषित कर रखा है। जाहिर है कांग्रेस को कैंट सीट पर भी अपना दावा वापस लेना पड़ सकता है।
इसी तरह से इलाहाबाद दक्षिण सीट पर भी रार संभव है। यहां से सपा के विधायक परवेज अहमद टंकी हैं परंतु कांग्रेस की ओर से नंदगोपाल नंदी की दावेदारी को अनदेखा करना आसान न होगा। इसे सियासी मजबूरी ही माना जाए कि सपा और कांग्रेस के बीच की रार अब चुनावी दोस्ती में बदलने की ओर है।
सवाल यह कि क्या मजबूरियां हैं कि बहुमत की सरकार चलाने के बाद भी समाजवादी पार्टी को कांग्रेस जैसी कमजोर हो चुकी पार्टी से हाथ मिलाने की जरूरत आन पड़ी। यह भी सवाल है कि बसपा से गठबंधन के घाव अब तक गहरे होने के बावजूद कांग्रेस भी क्यों इसके लिए आतुर है। क्या दोनों दलों सके सुर-ताल मिल सकेंगे।