हरियाणा में जाट आंदोलन से उपजे विकट हालात फिलहाल काबू में आते नहीं दिख रहे। इससे निपटने के लिए सरकार और पुलिस ने कमर कस ली है और सेना की 56 टुकड़ियां मांगी गई हैं। दरअसल मनोहर सरकार के अधिकतर गैर जाट मंत्रियों व गैर जाट विधायकों द्वारा जाट आंदोलनकारियों की सभी मांगों के प्रति सकारात्मक रुख नहीं होने से अब तक पिघली बर्फ फिर से जमने के आसार पैदा हो गए हैं।
गैर जाट मतदाताओं के बूते सत्ता में आई भाजपा की मजबूरी यह कि वह न तो उन्हें नाराज कर सकती और न ही प्रदेश की शांति भंग होने देना चाहती। लिहाजा, आंदोलन के और तेजी पकड़ने की आशंकाएं बढ़ गई हैं।
इसलिए वहां कानून-व्यवस्था की किसी भी स्थिति से निपटने के लिए अर्धसैनिक बल के जवानों की जरूरत है। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि हरियाणा सरकार ने अर्धसैनिक बल की 56 कंपनियां मांगी हैं और गृह मंत्रालय उनके अनुरोध पर विचार कर रहा है। अर्धसैनिक बल की एक कंपनी में 100 जवान होते हैं।
हालांकि धरना अब तक शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है, लेकिन मांगें नहीं मानी जाने पर जाट नेताओं ने 19 फरवरी के बाद आंदोलन तेज करने की धमकी दी है।
गौरतलब है कि पिछले साल जाट आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया था और विभिन्न स्थानों पर 30 लोगों की मौत हो गई थी और संपत्ति का नुकसान हुआ था।