मोदी सरकार ने दी नेशनल हेल्थ पॉलिसी को मंजूरी, अब सबका होगा मुफ्त इलाज

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पॉलिसी

केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को आखिरकार नेशनल हेल्थ पॉलिसी को मंजूरी दे दी है। इसकी मदद से सरकार सभी को मुफ्त इलाज उपलब्ध कराने की तैयारी में है। पिछले दो साल से लंबित इस ड्राफ्ट को पीएम मोदी के नर्देश अनुसार कुछ बदलाव करते हुए मंजूरी दी गई है।

हालांकि सरकार का लक्ष्य देश की बड़ी आबादी को सरकारी अस्पताल के जरिए फ्री इलाज की सुविधा देना है। इस नेशनल हेल्थ पॉलिसी के तहत हर किसी को इलाज की सुविधा दी जाएगी। यानी पैसा न होने पर किसी मरीज का इलाज करने से मना नहीं किया जा सकेगा। सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज और जांच की सुविधा होगी।

पॉलिसी के तहत इंश्योरेंस बेस्ड मॉडल या प्रीपेड मॉडल के जरिए देश में सभी को सस्ती कीमत पर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। साथ ही एजुकेशन सेस की तरह ही स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए हेल्थ सेस लगाया जा सकता है। प्रीपेड हेल्थकेयर सर्विस की सुविधा भी इस पॉलिसी में रखी गई है।

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जिला अस्पताल और इससे ऊपर के अस्पतालों को पूरी तरह सरकारी नियंत्रण से अलग किया जाएगा। पॉलिसी में हर बीमारी को हटाने के लिए खास टारगेट बनाया गया है। आज सदन में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा औपचारिक रूप से इस नीति को देश के सामने रख सकते हैं।

15 साल बाद आई नीति

यह राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 15 साल बाद आई है। दो साल पहले ही इसका मसौदा तैयार कर लिया गया था। लेकिन इसके बाद से यह लटकी हुई थी। पिछले कुछ दिनों के दौरान भी इसे दौ बार कैबिनेट में पेश किया गया। लेकिन इसको मंजूरी नहीं मिल सकी। स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च को ले कर नई सरकार पर कई तरह के दबाव हैं। एक तरफ नीति आयोग यह सिफारिश कर चुका है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को बंद कर दिया जाए। लेकिन राजनीतिक रूप से यह फैसला बहुत मुश्किल होगा। ऐसे में अब नई नीति के मुताबिक सरकार नए अस्पतालों को बनाने पर ज्यादा जोर देने की बजाय इस मामले में निजी और सरकारी सुविधाओं के बीच मुकाबला करवाएगी।

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जहां चाहें, कराएं इलाज

-मरीजों को यह सुविधा होगी कि वे जिस अस्पताल में चाहें अपना इलाज करवाएं।

-ऐसे में नए ढांचे खड़े करने पर लगने वाले धन को सीधे इलाज के लिए खर्च किया जा सकेगा।

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इस समय देश में डॉक्टर से दिखाने में 80 फीसद और अस्पताल में भर्ती होने के मामले में 60 फीसद हिस्सा निजी क्षेत्र का है।

-लेकिन निजी क्षेत्र में जाने वाले लोगों में अधिकतर को अपनी जेब से ही इसका भुगतान करना होता है।

-स्वास्थ्य के क्षेत्र में डिजिटलाइजेशन पर भी जोर। प्रमुख बीमारियों को समाप्त करने के लिए समय सीमा तय की गई है।