जयललिता के निधन के बाद खात्मे की कगार पर AIADMK… ना रही पार्टी, ना बचा चुनाव चिह्न

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जयललिता

तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के निधन के बाद सबकुछ तेजी से बदल रहा है। आज वहां जो हालात हैं उसकी कल्पना शायद अम्मा ने भी कभी नहीं की होगी। जयललिता का अचानक यूं चले जाना, फिर पार्टी में कुर्सी को लेकर उनके दो खास नज़दीकियों के बीच खींचतान, फिर आय से अधिकर संपत्ति मामले में शशिकला को जेल। पिछले कुछ ही महीनों में तमिलनाडु ने क्या कुछ नहीं देखा। और जो देखना बाकी रह गया है वो है AIADMK का खात्मा। जी हां हालात कुछ इसी तरफ इशारा कर रहे हैं कि तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी AIADMK अब खात्मे की कगार पर खड़ी है।

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पार्टी का चुनाव चिह्न सीज़

इलेक्शन कमीशन ने तमिलनाडु में AIADMK का चुनाव चिह्न फ्रीज कर दिया है। तमिलनाडु में AIADMK के चुनाव चिह्न के लिए दावा करने वाले वीके शशिकला और ओ. पन्नीरसेल्वम के नेतृत्व वाले गुटों को चुनाव आयोग से झटका लगा है। आयोग ने पार्टी के चुनाव चिह्न को जब्त कर लिया है। बुधवार को देर रात आयोग ने अंतरिम आदेश में कहा कि कोई भी गुट पार्टी के नाम का इस्तेमाल नहीं करेगा।

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पार्टी के दो गुट (शशिकला और पन्नीरसेल्वम) इस पर दावा जता रहे थे। अब उन्हें नए चिह्न पर आरके नगर असेंबली सीट से बाई इलेक्शन लड़ना होगा। यह सीट पार्टी सुप्रीमो जे जयललिता के निधन से खाली हुई थी। 23 मार्च नॉमिनेशन करने की अाखिरी तारीख है। इसी दिन कैंडिडेट्स को पार्टी का नया चुनाव चिह्न जमा कराना होगा।

आयोग ने दोनों गुटों की दलील सुनने के बाद अपना आदेश सुनाया। दोनों गुटों की तरफ से पूर्व कानून मंत्री एम. वीरप्पा मोइली और सलमान खुर्शीद, पूर्व सॉलिसिटर जनरल मोहन परासरन, वरिष्ठ वकील सीएस वैद्यनाथन, जी. कृष्णकुमार और बी. श्रीनिवासन जैसे दिग्गज कानूनी विशेषज्ञों ने पैरवी की।

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पूर्व मुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम गुट का कहना था कि शशिकला पार्टी की अंतरिम महासचिव हैं, इसलिए वह उपचुनाव के लिए पार्टी का चुनाव चिह्न “दो पत्तियां” का आवंटन किसी प्रत्याशी को नहीं कर सकती हैं। जबकि शशिकला गुट का कहना था कि एमजी रामचंद्रन के निधन के बाद जयललिता को भी अंतरिम महासचिव बनाया गया था।