अब तक शहीदों के परिवारों को 4000 चिट्ठीयां लिख चुका है यह शख्स, पढ़िये- क्यों 18 सालों से कर रहा है यह काम?

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चिठ्ठियां
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ये सच है कि इस तरह की देशभक्ति का जज्बा कम ही देखने को मिलता है। जितेंद्र के लिए देशभक्ति एक जुनून है। राजस्थान के भरतपुर के रहने वाले जितेंद्र गुर्जर सूरत में एक सोसाइटी में गार्ड का काम करते हैं इन्हें बचपन से ही फौज में जाने का मन था पर आर्थिक तौर पर कमजोर होने की वजह से वो अपना ये सपना पूरा नहीं कर पाए। बचपन के दिनों से ही फौज की वर्दी ने इन्हें अपनी तरफ खींचा है। अजय का काम बेहद साधारण लगता है, लेकिन देखा जाये तो यह काफी खास है।

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जितेंद्र बॉर्डर पर शहीद हुए जवानों के परिवारों को चिट्ठी लिखकर उनका दर्द बांटने का प्रयास करते हैं। जितेंद्र ने शहीदों को पत्र लिखने का सिलसिला 1999 के कारगिल युद्ध के बाद से शुरू किया था। जो अब तक चल रहा है। जितेंद्र शहीदों के परिवारों को अब तक 4000 से ज्यादा चिट्ठीयां लिख चुके हैं, जिसमें से 125 परिवारों की तरफ से उन्हें जवाब भी मिला है। जितेंद्र कहते हैं कि वह भले ही पैसे से उनकी मदद नहीं कर सकता, लेकिन अपने पत्रों से शहीदों के परिवारों को सांत्वना देने की कोशिश करता हुं।

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साथ ही जितेंद्र ने बताया, ‘हमारे जिले में कई लोग भारतीय सेना में हैं। हम देखते थे कि जवान देश में जहां कहीं भी होते थे, वहीं से अपने परिवारों को लंबी-लंबी चिट्ठियां लिखते थे। इन चिट्ठियों को पढ़कर उनके परिवारों को बहुत सुकून मिलता था। इसलिए 1999 के युद्ध के बाद मैंने शहीदों के परिवारों को चिट्ठी लिखना शुरू किया। कई बार मरहम की जगह शब्द ज्यादा आराम देते हैं, इसलिए मैंने लिखना शुरू किया। इससे मुझे भी शांति मिलती है।’

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