नई दिल्ली:भाषा: दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों का आंकड़ा जारी किया है, जो काफी भयावह है। आंकड़ों के मुताबिक, राजधानी दिल्ली में साल 2012 से 2015 के बीच औसतन हर दिन नौ महिलाओं का शीलभंग हुआ, जबकि कम से कम चार महिलाएं बलात्कार की शिकार हुई।
चार साल की इस अवधि के दौरान बलात्कार के मामलों में तीन गुना का इजाफा हुआ है। साल 2012 में बलात्कार के कुल 706 मामले दर्ज हुए थे जो साल 2015 में तीन गुना से ज्यादा बढ़कर 2,199 हो गए। जबकि 2013 में बलात्कार के 1,636 मामले और उसके अगले साल 2014 में 2,166 मामले दर्ज किए गए।
आंकड़ों के मुताबिक बीते पंद्रह साल के दौरान बलात्कार के मामलों में छह गुना की वृद्धि हो गई है। साल 2001 में 381 मामले दर्ज किए गए थे और 2015 में ऐसे 2,199 मामले दर्ज किए गए। जबकि वर्ष 2012 में शीलभंग करने के इरादे से महिलाओं पर किए गए हमले के 727 मामले दर्ज किए गए थे, जो साल 2013 में बढ़कर 3,515, 2014 में 4,322 और उसके अगले साल बढ़कर 5,367 हो गए। साल 2015 में जनवरी से मध्य-जुलाई तक बलात्कार के 1,120 मामले दर्ज किए गए थे जो मध्य-जुलाई 2016 तक बढ़कर 1,186 हो गए।
आंकड़ों से पता चलता है कि महिलाएं अपने घर में भी सुरक्षित नहीं हैं और दहेज संबंधी मामलों तथा पति और ससुराल पक्ष द्वारा बर्बरता करने संबंधी मामलों में लगातार बढ़ोतरी हुई है। 2012 से मध्य जुलाई 2016 तक दहेज हत्याओं के 681 मामले दर्ज किए गए हैं। इन चार साल में पति और सास-ससुर के खिलाफ कुल 13,984 मामले दर्ज किए गए। ऐसे अपराधों में लगातार वृद्धि देखी गई।
साल 2012 में ऐसे कुल 2,046 मामले दर्ज हुए। इसके अगले साल यह आंकड़ा 3,045 और 2014 में बढ़कर 3,194 हो गया। साल 2015 में कुल मिलाकर ऐसे 3,536 मामले दर्ज हुए। जनवरी से लेकर मध्य जुलाई 2015 तक 1,842 मामले दर्ज हुए, जबकि इस साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 2,163 रहा। चार साल में दहेज संबंधी 681 मौत में से 134 साल 2012 में और 144 इसके अगले साल हुईं। 2014 में यह आंकड़ा 153 था जो 2015 में घटकर 122 रह गया।