सार्क के बाद भारत अब आसियान देशों के बीच भी पाकिस्तान को अलग-थलग करने में जुट गया है। इसके लिए आसियान के सदस्य देशों से आतंकवादी नेटवर्कों को तबाह करने में सहयोग मांगा गया है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने गुरुवार को आसियान रीजनल फोरम के रक्षा शिक्षा संस्थानों के प्रमुखों से मुलाकात की। अपने संबोधन में रक्षा मंत्री ने कहा कि आतंकवाद हमारी सबसे बड़ी चुनौती है। हाल में बढ़ती आतंकी घटनाओं पर चिंता जताते हुए पर्रिकर ने कहा कि आतंकवाद का हर जगह विरोध किया जाना चाहिए, इसे सरकारी नीति बनाने को अवैध माना जाना चाहिए और आतंकी नेटवर्कों को ढूंढने और उन्हें बर्बाद करने में सहयोग करना चाहिए।
सूत्रों के मुताबिक, पिछले एक हफ्ते के दौरान आसियान के देशों से लगातार राजनयिक संपर्क किया जा रहा है। सिंगापुर के पीएम ली सेन लूंग 3 अक्टूबर से भारत की यात्रा पर हैं। लूंग ने अपने बयान में आतंकवाद की कड़ी निंदा की है। म्यांमार की विदेश मंत्री आंस सान सू ची और थाइलैंड के पीएम प्रयुत चान-ओ-चा, बिम्सटेक की मीटिंग में भाग लेने के लिए जल्द भारत आने वाले हैं। माना जा रहा है कि वह भी आतंकवाद के मुद्दे पर भारत का साथ देंगे।