दिल्ली:
जीएसटी क्रियान्वयन को शीर्ष प्राथमिकता देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज भरोसा जताया कि इस अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था के लागू हाने पर कर की दरें घटेंगी।
उन्होंने कहा कि आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को लीक पर लाना और अटकी पड़ी बड़ी ढांचागत परियोजनाओं को परिचालन में लाना सरकार के सामने चुनौती है।
वस्तु एवं सेवा कर को अगले साल अप्रैल से लागू करने के संबंध में वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘हम आगे बढ़ रहे हैं, यह बेहद मुश्किल लक्ष्य है, हमारे पास समय कम है। मैं निश्चित तौर पर कोशिश करूंगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जीएसटी से लीकेज पर लगाम लगेगी। आने वाले दिनों में यह शायद कर की दर स्थिर करेगा और इसके प्रभावी तरीके से लागू होने पर इसमें कमी आएगी।’’ जेटली ने ‘द इकॉनामिस्ट – इंडिया समिट 2016’ में कहा कि सभी राज्यों की संग्रह व्यवस्था की प्रक्रियात्मक औपचारिकताएं और इन्हें अनुमोदन के लिए राष्ट्रपति के पास भेजने का काम चल रहा है।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा स्वीकृति प्रदान किए जाने के बाद संविधान संशोधन विधेयक को अधिसूचित किया जाएगा।
जेटली ने कहा कि अधिसूचना जारी होने और जीएसटी परिषद के गठन के बाद निश्चित तौर पर कुछ लंबित मुद्दे हैं जिनका परिषद समाधान करेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘आप यदि मुझसे आर्थिक प्राथमिकताओं के बारे में, यहां तक कि संसद से बाहर की भी, मुझसे पूछेंगे तो मैं कहूंगा कि जीएसटी लागू करना निश्चित तौर पर शीर्ष प्राथमिकता है, बैंक को लीक पर लाना महत्वपूर्ण प्राथमिकता है और अटकी पड़ी परियोजनाएं भी . इनमें से बहुत सी परियोजनाओं को आगे बढ़ाने को मंजूरी मिल गई है और यह प्रक्रिया निरंतर चलनी चाहिए। मुझे लगता है कि यह स्पष्ट प्राथमिकताएं हैं।’’
सरकारी स्वामित्व वाले बैंकों के बारे में उन्होंने कहा कि भारत उनके निजीकरण के लिए तैयार नहीं है और आईडीबीआई बैंक को छोड़कर अन्य सार्वजनिक बैंकों की मौजूदा विशेषताएं बरकरार रहेंगी।
उन्होंने कहा, ‘‘हम कुछ बैंकों का पुनर्गठन कर रहे हैं जिन्हें प्रतिस्पर्धी माहौल में दिक्कत हो सकती है।’’ यह पूछने पर कि वित्तीय क्षेत्र में निजीकरण की कोई जगह क्यों नहीं है, उन्होंने कहा, ‘‘सुधारों के एक निश्चित स्तर पर पहुंचने के लिए आपको उस स्तर की सार्वजनिक सोच विकसित करनी होती है . भारत में प्रतिस्पर्धा के बावजूद सामाजिक क्षेत्र के वित्तपोषण के बड़े हिस्से में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की भूमिका अपेक्षाकृत बहुत बड़ी है।’’ जेटली ने कहा कि आम राय अभी ऐसे स्थान पर नहीं पहुंची है जहां लोग इस क्षेत्र में किसी प्रकार के निजीकरण के बारे में सोच सकें। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ चुनिंदा सुधार होते हैं, मसलन, हमने एक नीति की घोषणा की है कि बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी घटाकर 52 प्रतिशत पर लाई जा सकती है।’’ वसूल नहीं हो रहे कजरें के बारे में जेटली ने कहा कि ऐसे कर्ज घटाने के लिए कई पहलें की गयी है। उन्होंने कहा, ‘‘एक भी क्षेत्र ऐसा नहीं बचा है जहां हमने समस्याओं के समाधान के लिये पहल नहीं की हो और उसे छोड़ा हो . यदि आप पूछें कि जीएसटी पारित होने और उसके संभावित क्रियान्वयन के बीच जब प्रक्रिया चल रही है, मेरी प्राथमिकता क्या होगी तो निश्चित तौर पर यह :प्रथमिकता: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का स्वास्थ्य है।’ जेटली ने यह भी संकेत दिया कि सरकार बजट में घोषित 25,000 करोड़ रपए की राशि के अलावा इन बैंकों को कुछ और पूंजी प्रदान करने के लिए तैयार है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह बैंकों के पूंजीकरण के लिए बजट में प्रदान की गई सहायता के अतिरिक्त होगी।’’