ग्रुप की 29 लिस्टेड कंपनियों के प्रमुखों से रतन टाटा ने कहा, ‘हम विभिन्न कंपनियों में उठाए गए कदमों की समीक्षा करेंगे और जिन्हें जरूरी समझेंगे, उन्हें जारी रखा जाएगा। अगर कोई बदलाव होगा, तो उस पर आपसे चर्चा की जाएगी।’ सूत्रों ने बताया कि टाटा ग्रुप का अगला कदम ग्रुप एग्जिक्युटिव काउंसिल जैसी एक मैनेजमेंट टीम बनाने का हो सकता है। जीईसी को मिस्त्री ने बनाया था और सोमवार दोपहर बाद उसे भंग कर दिया गया था। जीइसी में सीएचआरओ हेड एन एस राजन, स्ट्रैटिजिस्ट निर्मल्या कुमार, बिजनस डिवेलपमेंट ऑफिसर मधु कन्नन, हरीश भट्ट और ब्रैंड कस्टोडियन मुकुंद राजन थे। इसमें मिस्त्री भी शामिल थे। राजन और भट को दूसरी भूमिकाएं दी जाएंगी, वहीं राजन, कन्नन और कुमार के बारे में स्थिति साफ नहीं है।
सूत्रों ने बताया कि टाटा सीनियर सीईओ की एक मेंटरिंग टीम भी बना सकते हैं जिनमें टीसीएस के हेड एन चंद्रशेखरन शामिल हो सकते हैं। यह कदम छोटी ग्रुप कंपनियों के सीईओ को नई व्यवस्था में दिशा देने के लिए उठाया जा सकता है। टाटा ने इस संबंध में ईटी के सवाल का जवाब नहीं दिया। एक सर्च फर्म के एमडी ने कहा, ‘टाटा की उम्र 78 साल है। ऐसे में मैनेजमेंट टीम और मेंटरिंग टीम का गठन हो सकता है। उन्हें बेहतर गाइड्स के तहत छोटी कंपनियों को रखने की जरूरत होगी। ऐसे में टीसीएस के एन चंद्रशेखरन और टाइटन के एमडी भास्कर भट्ट उपयोगी हो सकते हैं।’
टाटा ग्रुप के चेयरमैन पद से अचानक हटाए गए सायरस मिस्त्री नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने का वक्त मांग सकते हैं। ताकि खुद को हटाए जाने के खिलाफ वह अपना पक्ष पीएम के सामने रख सकें। देश की राजनीतिक राजधानी दिल्ली और आर्थिक राजधानी मुंबई में मंगलवार शाम ऐसी अटकलों का बाजार गरम था। मिस्त्री राजनीतिक व्यवस्था के साथ संबंध बनाने को उत्सुक दिख रहे थे। शायद इसलिए ताकि वह अपना प्रोफाइल रतन टाटा के उत्तराधिकारी के रूप में तैयार कर टाटा ग्रुप में अपने पद को सुरक्षित कर सकें।