भारतीय मूर्तिकारों ने चीन की हवा निकाली, बाजार से गायब हुईं चीनी मूर्तियां

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चीन

भारतीय मूर्तिकारों ने इस बार दिवाली के मौके पर ड्रैगन का दम निकाल दिया है। दिवाली के लिए सजे बाजारों से चीन से आई देवी देवताओं की मूर्तियां यानी ‘गॉड फिगर’ गायब हैं और बाजार में भारतीय मूर्तिकारों द्वारा बनाई गई मूर्तियां छाई हुई हैं। चीन से आयात होने वाली मूर्तियों की बाजार में मौजूदगी लगभग न के बराबर है।

पिछले कुछ साल से दिवाली पर देवी-देवताओं की मूर्तियों के बाजार पर ‘चीनी सामान’ का दबदबा था। ग्राहक भी बेहतर फिनिशिंग और कम दामों वाली चीन से आयातित मूर्तियों की मांग करते थे, लेकिन इस बार हवा का रुख बदला दिखाई दे रहा है। ग्राहक चीनी माल के बजाय स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता दे रहा है।

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इस बार दिल्ली के बाजार में पंखा रोड, बुराडी, सुल्तानपुरी आदि इलाकों से बनकर आने वाली भगवान की मूर्तियों की चीनी मूर्तियों के मुकाबले बिक्री काफी ज्यादा है। ग्राहक भी निजी स्तर पर चाइनीज सामान का विरोध कर रहे हैं। यूं तो दिवाली पर मुख्य रूप से गणेश और लक्ष्मी की मूर्तियों की मांग रहती है। इसके अलावा रामदरबार, हुनमान जी, ब्रह्मा-विष्णु-महेश, शिव-पार्वती, कृष्ण और अन्य देवी देवताओं की मूर्तियों से भी बाजार पटे हैं। इन मूर्तियों की कीमत 100 रुपये से शुरू होती है। बाजार में 5,000 रुपये तक की आकषर्क मूर्तियां उपलब्ध हैं।

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चाइनीज उत्पादों के बहिष्कार कैंपेन से साफ है कि अब भारतीय ग्राहकों को भी चीनी उत्पादों में कोई खास रुचि नहीं रह गई है। इस साल से पहले तक दिवाली पर चीन में बनी मूर्तियां छाई रहती थीं लेकिन अब ऐसा नहीं है।

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