नई दिल्ली। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने फिलहाल भाजपा नेता सुब्रमण्यन स्वामी द्वारा वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) पर प्रधानमंत्री को लिखे पत्र को लेकर की गई कार्रवाई का ब्योरा साझा करने से इनकार कर दिया है। जीएसटीएन निजी क्षेत्र की कंपनी है जिसे जीएसटी के क्रियान्वयन के लिए सूचना प्रौद्योगिकी ढांचा स्थापित करने का काम दिया गया है।
इस बारे में सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गई जानकारी के जवाब में पीएमओ ने कहा कि मामले में जानकारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही दी जाएगी। पीएमओ ने आरटीआई आवेदन के जवाब में कहा कि ‘‘आपके द्वारा जिन दस्तावेजों के बारे में जानकारी मांगी गई है उन पर सूचना के अधिकार कानून की धारा 11 लागू होती है। इस बारे में आपको जवाब धारा 11 के तहत समूची प्रक्रिया पूरी होने के बाद दिया जाएगा।’’
पारदर्शिता कानून की धारा 11 कहती है कि जब कोई केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) किसी सूचना का खुलासा करना चाहता है, तो किसी तीसरे पक्ष से संबंधित या प्रदान की गई है और जिसे गोपनीय माना गया है, तो ऐसी स्थिति में संबंधित अधिकारी को आग्रह मिलने के पांच दिन के अंदर तीसरे पक्ष में लिखित नोटिस देना होगा।
आपको बता दें कि राज्यसभा सदस्य स्वामी ने अगस्त महीने में जीएसटीएन में बहुलांश हिस्सेदारी निजी क्षेत्र की इकाइयों के पास होने को लेकर गंभीर आपत्ति जताते हुए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था।
जीएसटीएन में सरकार की हिस्सेदारी 24.5 प्रतिशत है, जबकि राज्य सरकारों के पास इसकी 24.5 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। शेष 51 प्रतिशत हिस्सेदारी गैर सरकारी वित्तीय संस्थानों मसलन एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक तथा एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस के पास है।