चिट्ठी में लिखा है- ‘फिल्म की कहानी महिला आधारित है और जीवन से इतर उनकी फैंटेसियों को दिखाया गया है। इसमें यौन दृश्य, अपमानजनक शब्द और अश्लील ऑडियो है। यह फिल्म समाज के एक विशेष वर्ग के प्रति अधिक संवेदनशील है। इसलिए फिल्म को प्रमाणीकरण के लिए नामंजूर किया जाता है।’
इस फिल्म की कहानी में भारत के एक छोटे शहर की पृष्ठभूमि में दिखाई गई है। कहानी का तानाबाना चार महिलाओं की जद्दोजहद पर बुना गया है। ये महिलाएं आजादी की तलाश में हैं। जो खुद को समाज के बंधनों से मुक्त करना चाहती हैं। बता दें कि यह फिल्म मुंबई फिल्म फेस्टिवल में लैंगिक समानता पर बेस्ट फिल्म के लिए ऑक्सफेम अवॉर्ड जीत चुकी है।
CBFC के चेयरमैन पहलाज निहलानी ने इस मुद्दे पर कहा है कि उन्होंने अपना काम किया है और अब फिल्म के निर्माता ऊपरी संस्था या कोर्ट कहीं भी जा सकते हैं। निहलानी के मुताबिक, उन्होंने एक चिट्ठी जारी की है, जिसमें कारण बताने के लिए कहा गया है। ये बैन नहीं है और ना ही विवाद है।