‘जिस्म’, ‘राज’ और ‘मर्डर’ जैसी हॉट फिल्मों से मशहूर निर्देशक महेश भट्ट का 20 सितंबर को जन्मदिन है। इससे पहले कि हम आगे बढ़ें सबसे पहले हम उनको 68वें जन्मदिन की बधाई देते हैं। महेश भट्ट का जन्म सन 20 सितंबर 1949 को मुंबई में हुआ था। महेश भट्ट ने लीक से हटकर फिल्में बनाकर बॉलीवुड में अपनी अलग पहचान बनाई है।
जीवनी
महेश का जन्म मुंबई में हुआ था। उनके पिता का नाम नानाभाई भट्ट और मां का नाम शिरीन मोहम्मद अली है। उनके पिता एक गुजराती ब्राह्मण थे जबकि मां गुजराती शिया मुस्लिम थीं। उनके भाई मुकेश भट्ट भी भारतीय फिल्म निर्माता हैं। उनकी स्कूली पढ़ाई डॉन बोस्को हाई स्कूल, माटुंगा से हुई थी। स्कूल के दौरान ही उन्होंने पैसा कमाने के लिए समर जॉब्स शुरू कर दी थी। उन्होंने प्रोडक्ट एडवरटीजमेंट्स भी बनाए।
महेश ने किरण भट्ट (लॉरेन ब्राइट) से लव मैरेज की थी दोनों स्कूल टाइम से ही साथ थे। इस शादी से उनके दो बच्चे हुए- पूजा भट्ट और राहुल भट्ट। पूजा भट्ट ने भी एक्टिंग में अच्छा खासा नाम कमाया है और अब वो एक निर्देशक के तौर पर काम कर रही हैं। किरण और महेश के रिश्ते में तब खटास आ गयी जब उनके और परवीन बॉबी के बीच नज़दीकियां बढ़ गईं।
तब दोनों पति-पत्नी ने अलग होने का फैसला किया लेकिन परवीन बॉबी से भी उनका रिश्ता ज़्यादा समय तक नहीं चला और उसके बाद उनकी ज़िंदगी में एंट्री हुई सोनी राज़दान की जिनसे उनके दो बच्चे हैं- शाहीन भट्ट और आलिया भट्ट।
अलिया भट्ट ने भी अपनी एक्टिंग से बॉलीवुड में खास जगह बनाई है तो वहीं उनकी बहन शाहीन भट्ट लाइम लाइट की दुनिया से थोड़ा दूर रहती हैं। लेकिन उन्होने फिल्म जहर और जिस्म-2 जैसी फिल्मों में भी सीन लिखे हैं। इसके अलावा उन्होने राज़-3 में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम किया है।
कोंट्रोवर्सी किंग
महेश भट्ट कई बार कोंट्रोवर्सी में रहे कभी अपनी फिल्मों को लेकर तो कभी अपनी रियल लाइफ को लेकर। कहा जाता है कि उनके माँ बाप की कभी शादी ही नहीं हुई थी। जिसका असर उनकी ज़िंदगी पर भी पड़ा इसलिए उन्होने शादी को कभी अहमियत नहीं दी। और शायद यही वजह है कि अपनी शादियों को लेकर भी वो कई बार विवादों में रह चुके हैं। महेश बड़ी बेटी पूजा भट्ट के साथ लिप-टु-लिप किस को लेकर भी काफी विवादों में रहे। एक मैगजीन में अपने इंटव्यू में महेश ने कहा था, ‘अगर पूजा मेरी बेटी नहीं होती, तो मैं उससे शादी कर लेता।’
करियर
महेश भट्ट ने निर्देशक के तौर पर फिल्म ‘मंजिलें और भी हैं’ से अपना डेब्यू किया। इसके बाद 1979 में आई ‘लहू के दो रंग’ जिसमें शबाना आजमी और विनोद खन्ना मुख्य भूमिका में थे, इसने 1980 के फिल्मफेयर अवार्ड्स में दो पुरस्कार जीते। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर बहुत अच्छा प्रदर्शन किया।
उनकी पहली बड़ी हिट फिल्म थी ‘अर्थ’। इसके बाद उनकी ‘जानम’ और ‘नाम’ को भी काफी पसंद किया गया। ऐसा कहा जाता है कि इन फिल्मों से उन्होंने अपने व्यक्तिगत जीवन को पर्दे पर उकेरने की कोशिश की। फिल्म ‘सारांश’ को भी लोगों ने काफी पसंद किया और अनुपम खेर के जीवन की भी यह अहम फिल्म रही। सारांश को 14वें मॉस्को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में भी एंट्री मिली थी।
1987 में वे निर्माता बन गए जब उन्होंने अपने भाई मुकेश भट्ट के साथ मिलकर ‘विशेष फिल्मस’ नाम से अपना प्रोडक्शन हाऊस शुरू कर दिया। हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री के वे जाने माने निर्देशक बन गए जब उन्होंने डैडी, आवारगी, आशिकी, दिल है कि मानता नहीं, सड़क, गुमराह जैसी फिल्में दीं।
प्रसिद्ध फिल्में
मंजिलें और भी हैं, लहू के दो रंग, अर्थ, सारांश, नाम, कब्जा, डैडी, आवारगी, जुर्म, आशिकी, स्वयं, सर, हम हैं राही प्यार के, क्रिमिनल, दस्तक, तमन्ना, डुप्लिकेट, जख्म, कारतूस, संघर्ष, राज, मर्डर, रोग, जहर, कलयुग, गैंग्सटर, वो लम्हे, तुम मिले, जिस्म 2,मर्डर 3