भारत ने राजीव गांधी की सरकार के दौरान 1985 में पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के जवाब में हाइड्रोजन बम का टेस्ट करने की तैयारी की थी। अमेरिका की केंद्रीय खुफिया एजेंसी (CIA) ने यह जानकारी दी है। उस समय दक्षिण एशिया में परमाणु हथियारों की होड़ की आशंका के मद्देनजर अमेरिका की रोनल्ड रीगन सरकार दोनों देशों के बीच मध्यस्थता करने और तनाव समाप्त करने में मदद के लिए एक दूत भेजना चाहती थी।
नवभारत टाइम्स की खबर के मुताबिक CIA की ओर से हाल ही में सार्वजनिक किए गए लगभग 9,30,000 गोपनीय दस्तावेजों से यह जानकारी मिली है। CIA ने इन दस्तावेजों के 1.2 करोड़ से अधिक पेज को ऑनलाइन पोस्ट किया है। इनमें 1980 के दशक के दौरान भारत की परमाणु हथियारों की क्षमताओं के बारे में दिलचस्प जानकारी है। एक दस्तावेज में CIA ने कहा है कि उसे भारतीय सुरक्षा बहुत कड़ी होने के कारण भारत के परमाणु कार्यक्रम के बारे में विवरण हासिल करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।
CIA ने बताया है कि राजीव गांधी सरकार जिस हाइड्रोजन बम का परीक्षण करना चाहती थी, वह 11 वर्ष पहले इंदिरा गांधी सरकार की ओर से टेस्ट किए गए एक अन्य बम से कहीं अधिक शक्तिशाली था। भारत उस समय न्यूक्लियर टेक्नॉलजी के लिहाज से पाकिस्तान से कहीं आगे था।
राजीव गांधी परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ाने को लेकर हिचक रहे थे, लेकिन 1985 की शुरुआत में पाकिस्तान की ओर से परमाणु हथियार बनाने की योजना पर काम करने की रिपोर्ट मिलने पर उन्होंने अपना इरादा बदल दिया। राजीव ने 4 मई, 1985 को कहा था कि परमाणु हथियार बनाने की पाकिस्तान की निरंतर कोशिशों की वजह से भारत अपनी न्यूक्लियर पॉलिसी की समीक्षा करने के लिए मजबूर हुआ है।
CIA ने बताया है कि मुंबई के पास भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के 36 सायंटिस्ट्स की एक टीम ने हाइड्रोजन बम तैयार किया था। CIA का यह भी दावा है कि भारत परमाणु हथियारों के लिए प्लूटोनियम जमा कर रहा था। हालांकि, CIA के आकलन के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक और आर्थिक परिणामों की आशंका के कारण पाकिस्तान के न्यूक्लियर प्लांट्स पर हमला नहीं करेगा। एक दस्तावेज में कहा गया है, ‘भारतीय सुरक्षा के लिए लंबी अवधि में पाकिस्तान को नहीं, बल्कि चीन को खतरा माना जाता है।’
अमेरिकी सरकार की ओर से दूत भेजने को लेकर एक दस्तावेज में बताया गया है कि भारत यह नहीं चाहता था, लेकिन इसके बावजूद वह दूत की बात सुनने के लिए तैयार था। CIA का कहना है अमेरिका की ओर से भेजे जाने वाले प्रतिनिधि का पाकिस्तान स्वागत करता। उस समय दक्षिण एशिया में पाकिस्तान को अमेरिका के एक महत्वपूर्ण सहयोगी के रूप में देखा जाता था और भारत को सोवियत संघ का दोस्त माना जाता था।
हालांकि, राजीव गांधी सरकार ने हाइड्रोजन बम का परीक्षण नहीं किया। 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने परमाणु बम का परीक्षण किया था। पाकिस्तान ने भी इसके बाद ऐसे परीक्षण किए थे। CIA ने कहा है कि उसे 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाई से पहले की गोपनीय जानकारी नहीं मिल सकी थी।
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