पाकिस्तान की संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) ने 26/11के मुंबई हमलों के एक आरोपी जफर को ये कहकर बरी कर दिया कि उन्हें ज़फर के खिलाफ कोई ऐसे सुबूत नहीं मिले। जिससे उसका दोष सामने आए। और ये पता लग सके कि मुंबई हमले के पीछे ज़फर की भूमिका थी।
स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, एफआईए ने एंटी टेरररिज्म कोर्ट में चार्जशीट दायर की और संदिग्ध आरोपी सूफियन जफर का नाम चार्जशीट में दूसरे कॉलम में रखा। इसका मतलब है कि आरोपी के खिलाफ एजेंसी को कोई सबूत नहीं मिले। हालांकि एजेंसी जफर से अभी पूछताछ करती रहेगी। जफर मुंबई हमले का संदिग्ध फाइनेंसर है। जफर के खिलाफ हमले के लिए पैसे मुहैया कराने का आरोप है। कोर्ट ने 22 सितंबर तक एफआईए को उसके खिलाफ अलग चालान पेश करने के लिए कहा है।
मुंबई में नवंबर 2008 में हुए आतंकी हमले के लिए पैसे का इंतजाम करने के आरोप में जफर को पिछले महीने अरेस्ट किया गया था। एफआईए के दस्तावेजों के मुताबिक, जफर प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का सदस्य है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान की अदालत का ये फैसला ऐसे समय पर आया जब भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अंतर्राष्ट्रीय मंच पर आतंकवाद का मुद्दा उठा रहे हैं और आतंकवाद को पनाह देने वाले देशों को कड़ा संदेश दे रहे हैं।