3 – तीसरी वजह – सख्ताहाल ट्रैक पर बेलगाम रफ्तार
भारतीय रेलवे सूत्रों के मुताबिक जिस वक़्त इंदौर-पटना ट्रेन के साथ हादसा हुआ, ट्रेन की रफ़्तार काफ़ी तेज़ थी।उससे ठीक पहले जो ट्रेन इस ट्रैक से गुज़री, उसकी स्पीड कम थी।
ऐसे में अगर इस रेलवे ट्रैक पर कोई छोटा सा क्रेक पहले से रहा होगा, तो इस रफ्तार की वजह से भी हादसा हो सकता है। हालांकि, इस ट्रैक पर एक्सप्रेस ट्रेन को 110 किलोमीटर प्रति घंटे तक चलाने की इजाज़त है।
देश में सरकार हाई स्पीड और बुलेट ट्रेन की प्लानिंग कर रही है, ऐेसे में एक्सप्रेस गाड़ियों को बेलगाम रफ्तार पर दौड़ाया जा रहा है। लेकिन तेज स्पीड से ट्रेनों को दौड़ाने से पहले उस हिसाब का ट्रैक होना भी बेहद जरूरी है। जबकि इस तरफ शायद रेलवे का ध्यान ही नहीं है। अगर ट्रैक में कोई दिक्कत आ जाए तो स्टेशन मास्टर कंट्रोल रूम में तकनीकी स्टाफ को ट्रैक में खराबी की जानकारी देता है। जिससे ऐसे स्थानों पर ट्रेन की रफ्तार प्रतिबंधित कर दी जाती है। लेकिन कानपुर ट्रेन हादसे में सबसे बड़ी बात यही सामने आई कि ट्रैक ठीक ना होने के बावजूद इसपर 110 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से ठीन दौड़ाई गई..जो इस दुर्घटना की सबसे बड़ी वजह बनी।
4 – चौथी वजह – पटरियों में फ्रैक्चर समय पर नहीं होती मरम्मत
रेलवे ट्रैक में फ्रेक्चर व क्लिप आदि देखने के लिए गैंगमैन प्रतिदिन जांच करते हैं। लेकिन टे्रनों लगने वाली लर्च ट्रैक के नीचे जमीन धंसने से होती है। इसमें काफी वक्त लगता है। इस खराबी को गैंगमैन अपनी आंखों से देखकर पता नहीं लगा सकता है। अल्ट्रासोनिक फाल्ट डिडेटेक्शन मशीन से ही इसका पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा ट्रैक इंजीनियर ट्रॉली के जरिए ट्रैक की खामी का पता लगा सकते हैं। यदि रेलवे ट्रैक मरम्मत व निगरानी का काम समयबद्ध तरीके किया जाता तो पटना-इंदौर टे्रन हादसे में 145 यात्रियों को जान नहीं गवानी पड़ती।
इंडियन रेलवे लोको रनिंग मेन ऑरगनाइजेशन (आईआरएलओ) के संजय पांधी ने कहा है कि पटना इंदौर एक्सप्रेस लर्ज के कारण हादसे का शिकार हुई। उक्त स्थल पर काफी दिनों से दूसरी टे्रनों के ड्राइवरों ने लर्च को महसूस किया। लेकिन इसकी रिपोर्ट स्टेशन मास्टर को दर्ज नहीं करायी गई।
5 – पांचवीं वजह – रेलवे ट्रैक पर बढ़ते लोड का असर?
बीते कुछ सालों से भारतीय रेलवे ट्रैक पर लोड बढ़ता जा रहा है। आम लोगों के ट्रैफिक का ही नहीं, बल्कि माल ढुलाई का लोड भी।
इंडियन रेलवे लोको रनिंग मेन ऑर्गेनाइज़ेशन के वर्किंग प्रेसीडेंट संजय पांधी के मुताबिक गुड्स ट्रेन इन दिनों ओवर लोडेड चल रही हैं। उनका दावा है कि अमूमन अगर किसी गुड्स ट्रेन की क्षमता 78 टन की है, तो उस पर 80-82 टन माल की ढुलाई हो रही है। इससे रेल ट्रैक के टूटने का ख़तरा बढ़ जाता है।
ये संभव है कि इंदौर-पटना एक्सप्रेस ट्रेन जिस ट्रैक से गुज़र रही थी, वहां कुछ समय पहले गुज़री गुड्स ट्रेनों के कारण भी क्रैक बनने शुरू हो गए हों।