रविवार तड़के कानपुर से 60 किलोमीटर दूर पटना- इंदौर एक्सप्रेस रेल के दुर्घटनाग्रस्त होने से जान और माल का भारी नुकसान हुआ है। इस हादसे में अब तक मरने वालों की संख्या 146 तक पहुंच चुकी है। जबकि 180 लोग ज़ख्मी हुए हैं। ज़ख्मी हुए लोगों में 70 ऐसे भी हैं जो पल-पल जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं। लेकिन क्या कभी किसी ने सोचा कि इन लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन है। आखिर क्या वजह है जो मनमांगे पैस लेने के बावजूद भारतीय रेलवे यात्रियों को सुरक्षित सफर देने में नाकाम साबित हो रहा है। तो इसके पीछे कोई एक नहीं बल्कि कई वजह हैं। चलिए इसी पर एक नज़र डालते हैं।
1 – पहली वजह – 1.13 लाख सेफ्टी स्टाफ की कमी
रेल दुर्घटनाओं में हर साल होने वाली मौत के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर का खराब रखरखाव और अपग्रेडेशन न होना तो जिम्मेदार है ही इसके अलावा इसका एक और बड़ा कारण है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, यह कारण बड़ी संख्या में सेफ्टी स्टाफ की कमी है। सेफ्टी कैटिगरी में करीब 1.27 लाख कर्मचारियों का पद अब तक खाली है।
सेफ्टी एंप्लॉयीज में ट्रैकमेन, पॉइंटमेन, पैट्रोलमेन, टेक्निशंस और स्टेशन मासटर्स शामिल हैं। वे हमारी ट्रेनों के सुरक्षित संचालन के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार होते हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इस अहम चीज की कमी यात्रियों के जीवन को खतरे में डालती है।
बड़ी संख्या में सेफ्टी स्टाफ की कमी होने से मौजूदा वर्कर्स को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। उनको एक दिन में 15 घंटे से ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, जिससे गलती की संभावना बनी रहती है।
2 – दूसरी वजह – रेलवे स्टाफ की लापरवाही, शिकायत के बावजूद हालत नहीं होती दुरुस्त
पटना इंदौर एक्सप्रेस रविवार को कानपुर में जिस स्थान पर दुर्घटना की शिकार हुईं है, वहां ट्रेनों में लर्च लगने की शिकायतें कई हफ्ते मिल रही थीं। लेकिन किसी भी ट्रेन ड्राइवर ने संबंधित स्टेशन मास्टर को रिपोर्ट दर्ज करना जरुरी नहीं समझा। रेल मैन्युअल कहता है कि किसी भी गड़गड़ी की आशंका होने पर ड्राइवर को उसी स्थान पर ट्रेन खड़ी करने का अधिकार है। समस्या का समाधान होने पर ड्राइवर ट्रेन आगे चलाएगा। कानपुर रेल हादसे में भी ड्राइवर ने बताया कि उसने संबंधित अधिकारियों से मामले की शिकायत कर बताया था कि ट्रेन में दिक्कतें आ रही हैं। बावजूद इसके अधिकारियों ने कह दिया कि किसी तरह ट्रेन को कानपुर ले आओ, फिर देखा जाएगा।
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