सरकार ने PAN कार्ड के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य बनाने के फैसले का बचाव करते हुए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि ऐसा देश में फर्जी PAN कार्ड के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए किया गया है।
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि आधार की वजह से सरकार ने गरीबों के लाभ की योजनाओं और पेंशन योजनाओं के लिए 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक की बचत की है। उन्होंने कहा कि करीब 10 लाख PAN कार्ड रद्द किए जा चुके हैं जबकि 113.7 करोड़ आधार कार्ड जारी किए गए हैं जिनमें सरकार को अभी तक इसके ड्यूप्लिकेट का कोई मामला पता नहीं चला है।
एक तरफ सरकार के बड़े-बड़े दावे और दूसरी तरफ आधार कार्ड के आधार पर सवाल… जी हां सरकारी संस्थाओं से लोगों की आधार जानकारियां लीक होने की खबरें लगातार आ रही हैं। इसी कड़ी में अब बेंगलुरु की ‘सेंटर फॉर इंटरनेट एंड सोसाइटी’ (CIS) की रिपोर्ट की माने तो देश में करीब 13.5 करोड़ आधार कार्ड का डाटा लीक हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार ये सभी डाटा लीक सरकारी संस्थाओं से हुए हैं।
यह आशंका बेंगलुरु स्थित सेंटर फॉर इंटरनेट एंड सोसाइटी (CIS) की एक रिपोर्ट में जताई गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, वेबसाइटों पर उपलब्ध नंबरों को जांचने के बाद कहा जा सकता है कि इन चार पोर्टल के जरिये 13 से 13.5 करोड़ लोगों के आधार नंबर लीक हो सकते हैं। इससे पहले केंद्र सरकार की सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की अधिकारी ने 25 अप्रैल को लिखे एक पत्र में लिखा था कि ऐसे कई मामले सामने आते जा रहे हैं जिससे आम आदमी की आधार जानकारियां लीक हुई हैं।
CIS पहले भी कह चुकी है कि आधार इसलिए अनसेफ है। क्योंकि यह बायॉमीट्रिक डेटा पर आधारित है। तकनीकी स्तर पर इसमें काफी खामियां हैं। जिनकी वजह से आधार का डेटा पूरी तरह से सुरक्षित रखना काफी मुश्किल है। देश में अभी तक 115 करोड़ से ज्यादा लोगों का आधार बन चुका है। (UIDAI) सिस्टम में आधार बनवाने वाले सभी नागरिकों का डेटा सेंट्रल रिपॉजिटरी में स्टोर होता है। इतनी बड़ी संख्या में एक जगह डेटा सुरक्षित रखना अपने आप में चुनौती है।
ऐसी विभिन्न जानकारियां लोगों ने मंत्रालयों के पास जमा की हैं। गौरतलब है कि आधार से जुड़ी कोई भी जानकारी- जैसे कि नाम, जन्म तिथि, पता आदि को सार्वजनिक करना, आधार कानून-2016 के तहत अपराध है। लीक हुई ये जानकारी ऑनलाइन सर्च करने पर आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं।