VIDEO: UPA के शासनकाल में क्यों नोटबंदी के खिलाफ थी बीजेपी ?

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नोट
फाइल फोटो।

मोदी सरकार की ओर से 8 नवम्बर 2016 को 500 और हजार के नोट बंद होने की घोषणा के बाद लोगों को काफी मुसिबतों का सामना करना पड़ रहा है। बैंक और एटीएम में लोगों का जमावड़ा लगा हुआ है। देश भर में लोग परेशान है। लोगों के व्यापार प्रभावित हो रहे हैं। बाजारों में दुकानदार छोटे नोट मांग रहे हैं। वहीं ग्राहकों के पास छोटे नोट नहीं होने से खरीददारी में परेशानी हो रहीं है। किसी के घर में शादी है, किसी को अस्पताल में ईलाज कराने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

नेशनल दस्तक की खबर के मुताबिक, इस सब के बीच सवाल ये है कि जब यूपीए सरकार ने नोट बदलने का फैसला किया था तब बीजेपी ने इस पर सवाल खड़े किए थे।  ज़ी न्यूज में 23 जनवरी 2014 को छपी इस खबर को पढ़े जिसमें बीजेपी ने तत्कालीन यूपीए सरकार के नोट बदलने के फैसले पर सवाल खड़े किए थे। विपक्ष में बैठी एनडीए द्वारा किए गये विरोध के चलते उसी समय यूपीए की सरकार ने 2005 से पहले के करेंसी नोटों को वापस लेने का निर्णय किया था।

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इतना ही नहीं बीजेपी ने इसे चुनावी स्टंट बताते हुए गरीबों और मजदूरों के बरबाद होने की बात कही थी। मगर सवाल यह है कि अब जब यूपी चुनाव का वक्त नजदीक आ गया है तो क्या बीजेपी ने अचानक ऐसा करके कोई चुनावी स्टंट किया है?

बता दें कि 23 जनवरी 2014 को जनसत्ता में प्रकाशित हुई खबर के अनुसार, भाजपा प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने उस समय कहा था कि, अवसरों को गंवाने वाले संप्रग के 10 साल के शासन में पी चिदंबरम 7 साल वित्त मंत्री रहे हैं और अब सरकारी की चली चलाई की बेला में वह लोगों द्वारा पूछे जा रहे सवालों से भागने के लिए कालेधन के विषय से जनता के असली मु्द्दों को भ्रमित करना चाहते हैं। लेकिन सरकार का यह फैसला विदेशी बैंकों में अमेरिकी डॉलर, जर्मन ड्यूश मार्क और फ्रांसिसी फ्रांक आदि करेंसियों के रूप में जमा भारतीयों के कालेधन में से एक पाई भी वापस नहीं ला सकेगा। इससे साफ है कि सरकार का विदेशों में जमा भारतीयों के कालेधन को वापस लाने का कोई इरादा नहीं है और वह केवल चुनावी स्टंट कर रही है।

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लेखी ने तर्क दिया था कि इस निर्णय से दूर दराज के इलाकों के गरीबों की मेहनत की कमाई पर पानी फिर जाने का पूरा खतरा पैदा हो जाएगा। उन्होंने कहा था कि गरीब और आदिवासी लोग पाई-पाई जमा करके अपनी बेटियों की शादी ब्याह और अन्य वक्त जरूरत के लिए घर के आटे-दाल के डिब्बों आदि में धन छिपा कर रखते हैं। ऐसे में अधिकतर लोग अपना धन 2005 के बाद की करेंसी से नहीं बदल पाएंगे या बिचौलियों के भारी शोषण का शिकार हो जाएंगे।

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भाजपा नेता ने कहा था कि देश की बहुत बड़ी आबादी ऐसी होगी जिसे इस खबर का पता भी नहीं होगा और वक्त जरूरत के लिए जब वे अपना यह कीमती धन खर्च करने के लिए निकालेंगे तब उन्हें एहसास होगा कि उनकी कड़ी मेहनत की कमाई कागज का टुकड़ा भर रह गई है। सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए उन्होंने कहा था कि यह निर्णय आम आदमी और आम औरत को परेशान करने तथा उन चहेतों को बचाने के लिए है जिनका भारत के कुल सकल घरेलू उत्पाद के बराबर का कालाधन विदेशी बैंकों में जमा है।