नई दिल्ली। जानीमानी सामाजिक कार्यकर्ता तृप्ति देसाई ने रविवार(28 अगस्त) को हाजी अली की दरगाह के मुख्य हिस्से में पहुंचकर चादर चढ़ाई और दरगाह ट्रस्ट से आग्रह किया कि वह मजार के भीतरी हिस्से में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक को हटाने संबंधी हाई कोर्ट के आदेश के विरूद्ध सुप्रीम कोर्ट का रूख नहीं करे। उन्होंने यह भी कहा कि वह अब वह केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के पूजा के अधिकार के लिए संघर्ष करेंगी।
भूमाता ब्रिगेड की अगुवा तृप्ति ने मुम्बई के वरली समुद्रतट के पास में एक टापू स्थित दरगाह के बाहर संवाददाताओं से कहा कि ‘‘पिछली बार जब हम यहां हाजी अली दरगाह आए थे तब हमने हाई कोर्ट में अपने पक्ष में फैसले के लिए दुआ मांगी थी। चूंकि हमारी दुआ सुनी गई और वह कबूल हुई हम हाजी अली बाबा का आशीर्वाद लेने और चादर चढ़ाने के लिए यहां आए।’’ शहर के सबसे महत्वपूर्ण स्थलों में से एक सैयद पीर हाजी अली शाह बुखारी की मजार भारतीय-इस्लामी वास्तुकला का एक प्रमुख नमूना है।
तृप्ति ने मुस्लिमों सहित देश के लोगों को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद देते हुए दरगाह के ट्रस्ट से अनुरोध किया कि वह हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएं। उन्होंने यद्यपि साथ ही यह विश्वास भी जताया कि यदि ऐसा कोई कदम उठाया भी गया तो सुप्रीम कोर्ट महिलाओं के पक्ष में फैसला सुनाएगा।
मालूम हो कि बंबई हाई कोर्ट ने गत शुक्रवार को एक ऐतिहासिक फैसले में हाजी अली दरगाह में मजार के पास महिलाओं के जाने पर लगी रोक यह कहते हुए हटा दी थी कि यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। अदालत ने कहा था कि ट्रस्ट को महिलाओं का प्रवेश किसी सार्वजनिक उपासना स्थल पर रोकने का कोई अधिकार नहीं है। अदालत ने यद्यपि अपने आदेश पर हाजी अली दरगाह ट्रस्ट की अर्जी पर छह सप्ताह की रोक लगा दी थी जो उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देना चाहता है। गत अप्रैल में तृप्ति ने हाजी अली दरगाह की मजार के पास जाने का असफल प्रयास किया था।