बीजेपी की एतिहासिक जीत से बदलेगी यूपी की सियासत, विपक्षी दलों ने तैयार किया ये मास्टरप्लान

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बीजेपी

उत्तरप्रदेश में बीजेपी की बंपर जीत ने विपक्षी दलों के फिर से अपनी रणनीति पर विचार करने को मजबूर कर दिया है। एक तरफ जहां बीजेपी 2019 का महाजंग जीतने के लिए अभी से रणनीति पर काम करना शुरू कर चुकी है तो दूसरी ओर विपक्ष भी नई रणनीति के साथ सामने आ रहा है। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों के नेताओं ने 2019 में मोदी मैजिक को मात देने के लिए सुझाव दिए हैं और इसमें सबसे ऊपर दिख रहा है कि अकेले कोई दल मोदी को हरा नहीं सकता ऐसे में तमाम दल एक साथ आ सकते हैं।

बिहार में हुए महागठबंधन की तर्ज पर अब यूपी को भी अगर बीजेपी को मात देनी है, तो गठबंधन करना ही पड़ेगा। चाहे वो लालू प्रसाद यादव हों या फिर मणिशंकर अय्यर, बड़े-बड़े दिग्गज इस बात पर मुहर लगा चुके हैं। फिलहाल यूपी में जिस तरह की सियासी हवा बह रही है उसे देखकर तो यही लगता है कि बीजेपी का विजय रथ अभी रुकने वाला नहीं। 2014 से लेकर 2017 तक अगर बिहार और दिल्ली को छोड़ दें तो बीजेपी जहां से भी चुनावी मैदान में उतरी है वहीं से जीतकर लौटी है। ऐसे में कयास यही लगाए जा रही हैं कि अगर विपक्षी दल ने बीजेपी के खिलाफ कोई ठोस नीति नहीं आपनाई तो 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी और मोदी के डंके को बजने से कोई रोक नहीं सकता।

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ये है महाप्लान 2019

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने इंडिया टुडे से खास बातचीत में इस बात को स्वीकार किया कि मोदी को हराना अकेले कांग्रेस के बूते की बात नहीं है। ऐसे में राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन बनाना होगा। सभी दलों को अपने हित अलग रख मोदी फैक्टर को हराने के लिए साथ आना होगा।

कांग्रेस में क्या हों बदलाव?

कांग्रेस में राहुल गांधी के खिलाफ उठती आवाज पर अय्यर ने कहा कि राहुल गांधी की अपनी जगह है लेकिन पार्टी के संगठन में बड़े बदलावों की जरूरत है। युवा नेताओं को महासचिव पद पर और अनुभवी नेताओं को कार्यसमिति में जगह देनी होगी। इसके अलावा क्षेत्रीय नेताओं को मजबूत करना होगा। मणिशंकर अय्यर ने कहा कि पंजाब की जीत मजबूत क्षेत्रीय नेता की जीत है। इससे हमें सीख लेनी होगी।

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क्या होगी कांग्रेस की नई रणनीति?

कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता सी पी जोशी ने इस बीच कहा कि पार्टी 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी पहले ही शुरू कर चुकी है और बीजेपी को ‘कड़ी चुनौती’ देगी। जोशी ने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद पूरा राजनीतिक विमर्श बदल गया है और नई चुनौतियां सामने आ गई हैं, जिनके लिए पार्टी को देश भर में अन्य पार्टियों से तालमेल करना होगा ताकि बीजेपी का मुकाबला किया जा सके। ये प्रयोग सफल होंगे। बिहार इसका उदाहरण है। इसमें सपा और बसपा को भी साथ लाने की कांग्रेस कोशिश करेगी।

जेडीयू का बिहार मॉडल पर जोर

मोदी को 2019 में लोकसभा चुनाव में चित देने के लिए जनता दल यूनाइटेड और कांग्रेस ने बिहार के तर्ज पर महा गठबंधन बनाने की वकालत की है। हाल ही में संपन्न हुए उत्तर प्रदेश चुनावों में बीजेपी की धमाकेदार जीत को देखते हुए इन दोनों दलों ने महागठबंधन बनाने पर जोर दिया है। जेडीयू के प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि जब तक देश के तमाम राजनीतिक दल बीजेपी को हराने के लिए एक मंच पर नहीं आते हैं तब तक प्रधानमंत्री मोदी को हराना संभव नहीं है। संजय सिंह ने कहा कि अगर मायावती ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के गठबंधन के साथ हाथ मिलाया होता तो फिर वहां की तस्वीर कुछ और होती है।

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कौन होगा राष्ट्रीय महागठबंधन का चेहरा

हालांकि, मोदी को हराने के लिए 2019 में अगर कोई महागठबंधन बनता है तो उस का नेतृत्व कौन करेगा इसपर सहमति नहीं दिखती। कांग्रेस राहुल गांधी के अलावा किसी और चेहरे पर शायद ही राजी होगी लेकिन जदयू ने साफ स्पष्ट किया है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही महागठबंधन का चेहरा हो सकते हैं और मोदी को टक्कर देने के लिए सबसे मजबूत प्रधानमंत्री उम्मीदवार भी यही होंगे।